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अमेरिका और चीन में निर्यात को बढ़ाएं भारतीय मैन्युफैक्चरर्स: पीयूष गोयल

निर्यातकों को 4 फीसदी से कम ब्याज दर पर कर्ज

अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड विवाद की वजह से भारत के लिए अपना निर्यात बढ़ाने की जबरदस्त संभावना है|इससे भारतीय मैन्युफैक्चरर्स के सामने अमेरिका और चीन में अपने निर्यात को बढ़ाने के अवसर उपलब्ध हुए हैं।अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के तमाम उत्पादों के आयात पर भारी टैरिफ लगा रखे हैं।यही अवसर है जब निर्यातक 3 करोड़ इंडियन डायस्पोरा के बीच अपने उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की संभावना तलाश सकते हैं।ये सुझाव केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित बोर्ड ऑफ ट्रेड की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुए दिये।

पीयूष गोयल  ने कहा कि उद्योग जगत के लोग मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) से डरें नहीं और दुनिया का सामना आत्मविश्वास के साथ करें।वैश्विक व्यापार में अपनी मौजूदगी बढ़ानी है तो सख्त फैसलों के लिए तैयार रहना होगा।उन्होने कहा कि जरूरी नहीं कि सभी आयात बुरे हों और हमें जरूरी और गैर जरूरी में बांटकर आयात की इजाजत देनी होगी ताकि देश की जनता की मदद हो सके। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का मुक्त व्यापार समझौतों के बारे में यह सकारात्मक संकेत ऐसे समय में आया है, जब पूर्वी दुनिया के 16 देशों के प्रतिनिधि एक बड़े व्यापारिक समझौते- द रीजनल कॉम्प्रीहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) को अंतिम रूप देने के लिए 14-15 सितंबर को दिल्ली में बैठक करने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए देश कड़े निर्णय लेने के लिए तैयार रहे. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास एक ही विकल्प है. या तो हम हताश हो जाएं या जीवन में एक बार मिलने वाले अवसर का फायदा उठाते हुए अपनी वैश्विक पहुंच को बढाये। भारत ने यदि टेलीकम्युनिकेशंस डिवाइस आयात जैसे तरीके से बाकी दुनिया से संपर्क रखने में सक्रियता न दिखाई होती तो यहां टेलीकॉम क्रांति लाना संभव नहीं हो पाता।

पीयूष गोयल  ने बताया कि भारत के निर्यात में तेजी लाने के लिए सरकार एक जीवंत कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रही है जिसमें निर्यातकों को 4 फीसदी से भी कम ब्याज दर पर विदेशी मुद्रा में कर्ज उपलब्ध किया जाएगा। यह कर्ज खासकर छोटे और मध्यम उद्यमियों को हासिल होगा। यह स्वीकार करते हुए कि इस साल निर्यात में बहुत ज्यादा बढ़त नहीं हुई है, गोयल ने कहा कि  ‘हम अपनी औद्योगिक और विदेश व्यापार नीति को अंतिम रूप दे रहे हैं| हम वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि विदेशी निवेशकों के लिए औद्योगिक नीति को आकर्षक बनाया जा सके।’