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उपभोक्ताओं को नहीं रास आयेंगी GST की ये दरें

अनुमान से 40 फीसदी कम जीएसटी कर संग्रह

अनुमान से 40 फीसदी कम जीएसटी कर संग्रह को देखते हुए सरकार उठाने जा रही है बड़ा कदम|सरकार के इस कदम महंगी हो जायेंगी बहुत सी वस्तुएं| हालिया महंगाई को देखते हुए उपभोक्ताओं को नहीं रास आएगा सरकार का ये कदम| विदित हो कि 18 दिसंबर को वित्त मंत्री की अध्यक्षता होगी जीएसटी काउन्सिल की बैठक| इस बैठक में GST की वर्तमान दरों में बढ़ोत्तरी का फैसला लिया जा सकता है|

क्यों हो रहा है परिवर्तन?

आशा के अनुरूप जीएसटी संग्रह न होने से सरकार दबाव में है|संग्रह में कमी से राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है| कर संग्रह में कमी के कारण केंद्र को अब हर महीने करीब 13,750 करोड़ रुपये राज्यों को बतौर मुआवजा देना पड़ रहा है।इन सभी स्थितियों को देखते हुए सरकार लागू कर सकती है नयी दरें| मोदी सरकार सुस्त अर्थव्यवस्था में राजस्व संग्रह बढ़ाने की संभावना तलाश रही है। 18 दिसंबर को प्रस्तावित बैठक में सभी संभावित विकल्पों को तलाशा जाएगा। विदित हो कि जीडीपी के 4.5 प्रतिशत होने के बाद सरकार राज्यों के मुआवजे का बोझ बढ़ गया है|

क्या होंगे संभावित परिवर्तन?

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की दरों में उपभोक्ताओं को राहत देने वाली सबसे निचली 5 और 12 फीसदी की दरों को ख़त्म करने का फैसला लिया जा सकता है|इनके स्थान पर 8 और 15 फीसदी की नयी सबसे निचली दरों का फैसला लिया जा सकता है|बता दें वित्त वर्ष 2019-20 में अब जीएसटी का संग्रह संतोषजनक न होने से राजस्व संग्रह की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों के एक समूह ने जीएसटी की निचली दरों को संशोधन कर 8 और 15 फीसदी करने की सिफारिश की थी|वर्तमान में जीएसटी के तहत 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 और 28 फीसदी की चार दरें हैं| इसके अतिरिक्त 28 फीसदी की श्रेणी में आने वाली वस्तु एवं सेवाओं पर उपकर भी लिया जाता है| यह उपकर 1 से लेकर 25 फीसदी के दायरे में लगाया जाता है|