नई पॉलिसी के तहत ऑनलाइन नकली सामान बेचने पे लगेगी रोक
अब ऑनलाइन नहीं बिकेगा नकली सामान

अब ऑनलाइन नकली सामान बेचने वालों को मुश्किल होने वाली है। इस पॉलिसी के मार्च में आने की संभावना है। इसमें तफसील से बताया जाएगा कि उपभोक्ता और कंपनियां ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर बिकने वाले नकली उत्पादों से निपटने के लिए कौन से कदम उठा सकते हैं।डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) उन सभी उपायों पर गौर कर रहा है, जिनसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले जाली उत्पादों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ”ई-कॉमर्स पॉलिसी यकीनन जालसाजों से निपटेगी।” अधिकारी का कहना है कि डिपार्टमेंट अमेरिकी पॉलिसी की समीक्षा करेगा जिसमें अमेरिकी गोदामों की निगरानी बढ़ाने के साथ उल्लंघन पर जुर्माना और सजा बढ़ाने का प्रस्ताव है। अमेरिका नई रणनीति के तहत जाली सामान की जवाबदेही थर्ड पार्टियों के बजाय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डालने वाला है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड (सीआईआईटी) ठीक इसी तरह के प्रावधान भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट के लिए चाहता है।
प्रोडक्टों के असली होने की जवाबदेही विक्रेताओं की
देश की ड्राफ्ट नेशनल ई-कॉमर्स पॉलिसी पिछले साल जारी हुई थी, जिसमें ऑनलाइन जाली सामान बिकने के मामले का जिक्र था। इसे चिंताजनक ट्रेंड बताया गया था। इसमें जालसाजी पर अंकुश लगाने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को विक्रेताओं के बारे में सभी जरूरी जानकारियां साझा करने का निर्देश जैसे उपाय थे।
सभी प्रोडक्टों के असली होने की जवाबदेही विक्रेताओं/रिटेलरों पर होने की बात भी अनिवार्य करने की बात कही गई थी। डिपार्टमेंट ने ड्राफ्ट में कहा था कि ट्रेडमार्क मलिकों को प्लेटफॉर्म पर बेचे जाने वाले किसी भी संभावित नकली उत्पाद के बारे में जानकारी देने के लिए पॉलिसी के दायरे में शामिल किया गया है। वहीं, निर्यातकों में कमी आने के बीच ई-कॉमर्स पॉलिसी को अंतिम रूप देने से पहले सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों से बातचीत कर रही है कि वे देश के सुदूरवर्ती इलाकों के एसएमएसई को अपने जोड़ें ताकि उनके सामान बिकने में मदद मिल सके।
सरकार जिला स्तर पर उत्पादों की सूची बना रही है। इन्हें ई-मार्केटप्लेस के जरिये प्रमोट किया जा सकता है। मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ”मकसद यह है कि खासतौर से छोटे उद्यमों के उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर कुल निर्यात में बढ़ोतरी की जाए। इसमें सुदूरवर्ती इलाकों के छोटे उद्यमों को वरीयता दी जाएगी। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म यह काम करने का अच्छा जरिया हैं. इस बारे में बातचीत हो रही है।” अधिकारी ने कहा कि विदेशी निवेश वाली कंपनियों से निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं है।