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कम वेटेज रखने वाले शेयरों में म्यूचुअल फंडों की दिलचस्पी बढ़ी

निफ्टी 50 इंडेक्स में कम वेटेज वाले शेयरों में म्यूचुअल फंड निवेश में ख़ास बढ़ोतरी देखने को मिली।

निफ्टी 50 इंडेक्स में कम वेटेज रखने वाले शेयरों में म्यूचुअल फंडों की दिलचस्पी बढ़ रही है। सितंबर तिमाही में ऐसी कंपनियों में म्यूचुअल फंड निवेश में ख़ास बढ़ोतरी देखने को मिली।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार सितंबर तिमाही में म्यूचुअल फंडों ने अल्ट्राटेक सीमेंट में अपनी हिस्सेदारी को 400 बेसिस अंक बढ़ाते हुए 4.1 फीसदी से 8.1 फीसदी तक पहुंचा दिया है। इस साल इस शेयर ने सिर्फ 4 फीसदी रिटर्न दिया है। इडसइंड बैंक में हिस्सेदारी 12.6 फीसदी तक पहुंच गई, जो जून तिमाही में 9.2 फीसदी थी। इस साल यह शेयर 17 फीसदी गिरा है। यस बैंक में भी म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी  6.6 फीसदी से 9.3 फीसदी तक पहुंच गई। इस साल इसकी वैल्यू 61 फीसदी तक साफ हो गई है।
30 सितंबर के आंकड़ों के अनुसार, निफ्टी के टॉप 10 शेयरों के पास इंडेक्स की 61 फीसदी हिस्सेदारी है। इसमें HDFC बैंक (11.25 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (9.68 फीसदी), HDFC (7.23 फीसदी), इंफोसिस (6.26 फीसदी) और ICICI बैंक (5.94 फीसदी) शामिल हैं।

म्यूचुअल फंड विशेष

  • निफ्टी 50 इंडेक्स में कम वेटेज रखने वाले शेयरों में म्यूचुअल फंडों की दिलचस्पी बढ़ी ।
  • फंड मैनेजर्स को उम्मीद है कि उम्दा प्रदर्शन न करने वाले लार्ज कैप शेयर आने वाले समय में दिग्गज शेयरों के जैसा प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • मिडकैप शेयर भी सितंबर तिमाही में म्यूचुअल फंडों को आकर्षित करने में नाकाम रहे।
  • कोल इंडिया, NTPC, सिप्ला, आयशर मोटर्स, गेल (इंडिया) और डॉ. लाल पैथ लैब्स कुछ अन्य शेयर हैं, जिनमें म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 100 से 200 बेसिस अंकों तक बढ़ी है।
  • भारत पेट्रोलियम में म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 250 बेसिस अंक और एक्सिस बैंक में 240 बेसिस अंक बढ़ी है।
  • म्यूचुअल फंडों ने अल्ट्राटेक सीमेंट में अपनी हिस्सेदारी को 400 अंक बढ़ाए

घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने निफ्टी की 17 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को कम से कम 1 फीसदी से अधिक बढ़ाया है। मगर इनमें से 14 कंपनियां इस साल इंडेक्स के 10 फीसदी रिटर्न की बराबरी नहीं कर पायी। इनमें से ज़्यादातर वे शेयर हैं, जिनकी इंडेक्स में हिस्सेदारी कम है।

म्यूचुअल फंड मैनेजर्स को उम्मीद है कि उम्दा प्रदर्शन न करने वाले लार्ज कैप शेयर आने वाले समय में दिग्गज शेयरों के जैसा प्रदर्शन कर सकते हैं। इस साल निफ्टी 50 इंडेक्स के 21 शेयरों ने गिरावट दर्ज़ की है। इनमें से 20 शेयरों की हिस्सेदारी इंडेक्स पर बहुत ज़्यादा नहीं है। वे अगले 50 शेयरों (निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स) पर ज़्यादा विश्वास नहीं कर पा रहे हैं । मिडकैप शेयर भी सितंबर तिमाही में म्यूचुअल फंडों को आकर्षित करने में नाकाम रहे।

भारत पेट्रोलियम में म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 250 बेसिस अंक और एक्सिस बैंक में 240 बेसिस अंक बढ़ी है। इस साल इन दोनों शेयरों ने क्रमश: 45 फीसदी और 18 फीसदा का रिटर्न दिया है।अगले 50 दिग्गज शेयरों की बात करें, तो सिर्फ पांच में म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 100 बेसिस अंक से ज़्यादा बढ़ी है।

कोल इंडिया, NTPC, सिप्ला, आयशर मोटर्स, गेल (इंडिया) और डॉ. लाल पैथ लैब्स कुछ अन्य शेयर हैं, जिनमें म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी 100 से 200 बेसिस अंकों तक बढ़ी है। मगर इन सभी शेयरों ने इस साल निवेशकों का पैसा घटाया है।

वहीँ रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और HDFC बैंक की इस साल इंडेक्स की तेजी में आधी हिस्सेदारी रही है। इन शेयरों ने इस साल अच्छी तेजी दर्ज़ की। इसके चलते प्रदर्शन न करने वाले शेयरों का आकर्षण बढ़ना लाजमी है।

निर्मल बंग सिक्योरिटीज के सुनील जैन ने कहा कि म्यूचूअल फंडों का पैसा सिर्फ चुनिंदा शेयरों तक ही सीमित रहा, जो सुरक्षित दांव माने जाते हैं। उन्होंने कहा, “अब जोखिम क्षमता बढ़ रहा है। यदि यह अगले दो महीने भी जारी रहा, जो हम हम इंडेक्स के बाहर के दिग्गज और मिडकैप शेयरों में निवेश देख सकते हैं।