गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (gem) देगा ई-कॉमर्स पोर्टल को टक्कर
फ्लिपकार्ट और अमेजन के लिए खतरे की घंटी

फ्लिपकार्ट और अमेजन देश के सबसे बड़े ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल हैं|दशहरा और दीपावली के साथ चले इन दोनों के फेस्टिव सेल ने रिकार्ड तोड़ कमाई कि थी|प्रतियोगियों के अभाव के कारण इन दोनों ऑनलाइन पोर्टल को भारतीय बाजार काफी रास आये|हालांकि इन दोनों की कमाई का व्यापारिक संगठन कैट ने कड़ा विरोध किया है|जिससे ये भारत सरकार के रडार पर आ गये|ताजा सूचना के अनुसार अब इनकी व्यापारिक प्रतिस्पर्धा बढने जा रही है| सरकार GeM यानी (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) के दरवाजे आम जनता के लिए खोलने जा रही है|
बता दें सरकार अपनी इस पहल से बतौर ई-कॉमर्स पोर्टल ऑनलाइन शॉपिंग में मजबूती से पैर जमाना चाहती है| इसके साथ ऑनलाइन शॉपिंग पर नकली समान बेचने जैसी तमाम समस्याओं को वरीयता से दूर करना चाहती है|सरकार के इस कदम से अमेजन और फ्लिपकार्ट को कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है|जीईएम की कुल ऑर्डर वैल्यू 36,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा है|इस पोर्टल पर फिलहाल करीब 40,000 खरीददार आर्गेनाइजेशन यानी और 2 लाख 95 हज़ार से ज़्यादा विक्रेता समूह पंजीकृत हैं|ऐसे में आम जनता के लिए उपलब्ध होने की स्थिति में ये आंकड़ा और भी विस्तृत हो जाएगा जो कि फ्लिपकार्ट और अमेजन के लिए खतरे की घंटी बन सकता है|
क्या है जीईएम? GEM
जीईएम गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस एक ऑनलाइन बाजार है|जहां अधिकृत सेलर्स ही पंजीकरण कर सकते हैं|वर्तमान में इस पोर्टल का प्रयोग केवल केंद्र और राज्य सरकारें ऑनलाइन शॉपिंग से सरकारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए करती हैं|सरकार की योजना है इसे भविष्य में पहले थोक खरीददार के लिए और फिर जनता हेतु ऑनलाइन शॉपिंग के लिए भी खोला जाए| विक्रेता को आसान भुगतान सुविधा उपलब्ध कराने के लिए GeM का अब तक 7 सरकारी बैंक के साथ करार हो चुका है जबकि जल्द ही 6 और बैंक के साथ करार होने वाला है|
ये हैं आंकड़े :-
- जीईएम पर कुल ऑर्डर का मुल्य 36,952 करोड़ रूपये है|
- अब तक जीईएम के जरिए कुल 26,36,046 ऑर्डर हो चुके हैं|
- जीईएम पर 39,968 खरीददारों का पंजीकरण हो चुका है|
- जीईएम पर 2 लाख 95 से ज्यादा विक्रेता भी पंजीकृत हैं|
- जीईएम पर 14 लाख से ज्यादा उत्पाद उपलब्ध हैं|
ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ उतरा व्यापारी संघ:
देश भर के व्यापारियों के संघ कैट ने ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है|व्यापारियों का आंदोलन 13 नवंबर से शुरु हो रहा है| व्यापारी संघ का आरोप है कि “ई-कॉमर्स कंपनियां देश में ऑनलाइन शॉपिंग के ज़रिए मोनोपली करना चाहती है और जानबूझकर कम बहुत दाम पर सामान बेचने के लिए तरह तरह के लुभावने ऑफर लाती रही हैं, रीटेल बाज़ार के व्यापारिक माहौल खराब कर रही हैं ,इस तरह ये कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कानून के प्रेस नोट -2 का उल्लघंन कर रही हैं|ये कंपनियां कोई व्यापार नहीं कर रही हैं बल्कि अपने निजी इक्विटी या वेंचर कैपिटलिस्ट निवेशकों के इशारों पर एक वैल्यूएशन खेल में लिप्त हैं| इससे देश में व्यापार कर रहे 7 करोड़ व्यापारियों को बहुत नुकसान हो रहा है. उनकी रोज़ी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है|”
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के मुताबिक “ये राष्ट्रव्यापी आंदोलन 13 नवंबर, 2019 से शुरू होगा और 10 जनवरी, 2020 तक जारी रहेगा| ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन, अल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एल्युमिनियम यूटेंसिल्स मैन्युफैक्चरर्स, ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स मर्चेंट्स एसोसिएशन, टॉयज़ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, ड्रग डीलर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिकल गुड्स एंड अप्लायंस एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ़ हार्डवेयर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन सहित देश के 40 हजार व्यापारी संगठन 27 राज्यों में इस आंदोलन में शामिल होंगे|”