उत्पादन मे आई कमी के कारण चीनी होगी महंगी
चीनी महंगाई से लोग परेशान

भारत देश का चीनी उत्पादन सितंबर में समाप्त हो रहे चालू विपणन वर्ष के पहले तीन महीनों में 30.22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 77.9 लाख टन रहा। चीनी उद्योग ने यह जानकारी देते हुए गुरुवार को कहा कि उत्पादन में गिरावट के बावजूद चीनी का मिल भाव मजबूत है और इससे मिलों को किसानों के गन्ना बकायों का भुगतान करने में आसानी हो रही है।
भारतीय चीनी मिल संघ, इस्मा (ISMA-Indian Sugar Mills Association) ने कहा चीनी उत्पादन विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) की इसी अवधि में उत्पादन एक करोड़ 11.7 लाख टन था।
इस्मा ने बाजार के आंकड़ों का हवाले देते हुए कहा कि, चीनी निर्यात अच्छी गति से हो रहा है। चीनी मिलों ने अभी तक सरकार के MAEQ (अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा कोटा या ‘मैक्सिमम एडमिशेबल एक्सपोर्ट क्वांटिटी कोटा’) के तहत 25 लाख टन के करीब चीनी के निर्यात के लिए समझौता किया है।
भारतीय चीनी मिल संघ ने कहा कि चीनी की एक्स-मिल कीमतें उत्तरी भारत में 3,250 से 3,350 रुपये प्रति क्विंटल और दक्षिण भारत में 3,100 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में स्थिर बनी हुई हैं।
भारतीय चीनी मिल संघ का ब्यान
अपने पहले अनुमान में, इस्मा ने इस वर्ष चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है। वर्ष 2018-19 में उत्पादन तीन करोड़ 3.6 लाख टन था. चीनी उत्पादन का दूसरा अनुमान अगले महीने जारी किया जायेगा। देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य – महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन – दिसंबर 2019 तक घटकर 16.5 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 44.5 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
न्यूज़ 18 के अनुसार दिसंबर 2019 के अंत में कुल 137 चीनी मिलें चालू थीं, जबकि पिछले साल इस दौर में 189 मिलें चल रही थीं। चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन एक साल पहले के 31 लाख टन की तुलना में अभी तक बढ़कर 33.1 लाख टन हो गया है।
आंकड़े दिसम्बर 2019 तक के
- गुजरात में चीनी उत्पादन 2,65,000 टन,
- बिहार में 2,33,000 टन
- पंजाब 1,60,000 टन
- हरियाणा 1,35,000 टन
- उत्तराखंड 1,06,000 टन
- मध्य प्रदेश 1,00,000 टन
- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 96,000 टन
- तमिलनाडु में 95,000 टन तक पहुंच गया है।