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जल्दी पेश होगा अगले साल का बजट, ये हैं आशाएं और चुनौतियां

दबाव के बीच भी सरकार कर सकती हैं कई महत्वपूर्ण घोषणाएं

अगले साल का बजट अपने समय से पूर्व पेश किया जा सकता है| इस बात का संकेत केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की बातों से मिलता है| उनका कहना है कि आम बजट अगले साल 1 फरवरी 2020 को पेश हो सकता है| साथ ही सरकार जिस तरह से तैयारियां कर रही है उससे भी साफ़ संकेत मिलता है कि इस साल का बजट भी जल्द पेश होने जा रहा है| बजट अब करीब एक महीना पहले 1 फरवरी को पेश होने लगा है| इसके साथ ही इकॉनमिक सर्वे भी 31 जनवरी को आने की शुरुआत हो गई| सरकार इस प्रथा को इस बार भी जारी रखेगी ऐसी उम्मीद है|

इस बजट की ये हैं 7 चुनौतियां और आशाएं

  • अधिकारियों की कमी– भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे आम बजट की तैयारी जोरों पर है| लेकिन इस महत्वपूर्ण समय में वित्त मंत्रालय की बजट टीम में दो अहम सदस्यों की कमी बनी हुई है| एक्सपेंडिचर सेक्रटरी और बजट के जॉइंट सेक्रटरी का पद भी पिछले तीन महीने से खाली पड़ा है| इन अधिकारियों के रिक्त पद के साथ बजट पेश करना कठिन चुनौती है|
  • कॉरपोरेट टैक्स में कटौती– केंद्र सरकार ने सितंबर माह में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करने का फैसला लिया था, जिसका सरकार के खजाने पर करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये का असर पड़ा है| सरकार के सामने इस भारी घाटे को संतुलित करने की चुनौती है|
  • बैंकों के असमंजस– इस साल बैंकों से संबंधित कई घोटाले सामने आए| ख़राब लोन (Bad Loan) देने की वजह से कई बैंकों के पैसे डूब गएं और कुछ बैंक तो दिवालियां होने के कगार पर भी पहुच गए| अब बैंकों के सामने नियंत्रित लोन वितरण के अलावे कोई विकल्प नहीं बच गया है| इसी का परिणाम है कि RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती करने के बाद भी बैंकों के तरफ से कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं आई तो RBI ने उम्मीदों के विपरीत इस बार के रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया| विदित हो की सरकार का लक्ष्य बैंकों को भी ज्यादा से ज्यादा कर्ज बांटने का है, ताकि स्वरोजगार में तेजी आए| मगर कर्ज डूबने से परेशान बैंक कर्ज देने में ज्यादा सावधानी बरतने लगे हैं| सरकार को अगले बजट में बैंकों के लिए कुछ ठोस नीतियां बनाने का प्रयास करना चाहिए|
  • GST का जटिल होना– GST को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया कि GST ज्यादा जटिल हो रहा है| उन्होंने इसके कारणों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि टेक्नॉलजी का ज्यादा इस्तेमाल होने के कारण ज्यादा जानकारी मांगी जा रही है| लेकिन टैक्सपेयर्स इतनी अधिक सूचना मांगे जाने से परेशान हो जाते हैं| GST को आसान और प्रभावी बनाने के लिए सरकार इस बार कुछ ठोस कदम उठाएगी, ऐसी उम्मीद है ताकि GST के समाधान के लिए हर बार विशषज्ञों की सलाह न लेनी पड़े| हालांकि इसको लेकर आखिरी फैसला जीएसटी काउंसिल को लेना है|
  • टैक्स सिस्टम और आसान बनाया जाए– वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया है कि टैक्सपेयर्स को परेशान नहीं किया जाएगा| उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा टैक्स सिस्टम और ज्यादा आसान बनाना है| वह विभिन्न प्रकार की छूटों को भी हटाना चाहती हैं| उन्होंने कॉर्पोरेट टैक्स का उदाहरण देते हुए कहा, ‘अब यह टैक्स ज्यादा आसान और छूटों से मुक्त व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं|’
  • इनकम टैक्स में कटौती– जब निर्मला सीतारमण से पूछा गया कि क्या इनकम टैक्स रेट में राहत दी जाएगी? जवाब में उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स रेट को ज्यादा तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा रहा है| खासकर कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद से इसकी मांग और तेज हो गई है| वित्त मंत्री ने कहा कि इनकम टैक्स रेट में राहत विभिन्न उपायों में से एक है, जिसके बारे में सरकार विचार कर रही है| टैक्स में कटौती की मांग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोगों की खरीदने की शक्ति बढ़ सके और मांग में तेजी आए|
  • पेट्रोलियम पदार्थ GST के दायरे में– पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के हाल के बयान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पूर्व में दिए गए बयानों से लगता है की इस बार सरकार पेट्रोलियम पदार्थों जैसे गैस, पेट्रोल आदि को भी GST के दायरे में लाने के प्रयास में है, और अगर ऐसा होता है तो इनके मूल्य में भारी कमी आएगी| चुकी राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए टैक्स की वजह से इनके मूल्य में काफी इजाफा होता है और अगर GST लागू होगा तो पेट्रोलियम पदार्थ एक ही टैक्स के अंतर्गत आ जाएगा जिससे मूल्य में स्वयं कमी आ जाएगी|
  • घटता GDP– विभिन्न क्रेडिट एजेंसियों और अब RBI द्वारा भी भारत के जीडीपी अनुमान को घटाना बहुत ही विकट समस्या है| सरकार को इसके समाधान के लिए कुछ कठोर नीतिगत फैसले लेने की आवश्यकता है|