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जानीये आर्थिक सुस्ती के दो प्रमुख कारण?

बैंकिग क्षेत्र के एनपीए का जोखिम बढ़ सकता है

गंभीर आर्थिक सुस्ती से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था का संकट भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी है|सरकार द्वारा किये गये विभिन्न प्रयासों का असर फिलहाल नजर नहीं आ रहा है|एनबीएफसी,घटती बिक्री,औद्योगिक उत्पादन में कमी के साथ ही साथ कर संग्रह में कमी जैसी समस्याओं से अर्थव्यवस्था गति पकड़ती नजर नही आ रही|इन्ही परिस्थितियों के कारण विभिन्न रेटिंग एजेंसियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की आशंका व्यक्त की है|भारतीय रिजर्व बैंक भी जीडीपी के गिरावट के आंकड़े जारी कर चुका है|ऐसे में बड़ा सवाल उठता है क्या है आर्थिक सुस्ती का कारण? जानते हैं आर्थिक सुस्ती के दो प्रमुख कारण इस रिपोर्ट में|

एनबीएफसी (NBFC) संकट:

मूडीज इंवेस्टर्स सर्विसेज ने शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि बैंकिग क्षेत्र के एनपीए का जोखिम इन NBFC के साथ ही इनके ऊपर वित्तपोषण के लिये निर्भर कंपनियों के कारण भी बढ़ सकता है|मूडीज के अनुसार एनपीए (NPA) का प्रसार NBFC से कर्जदारों और अंतत: बैकों तक होगा|जिसके कारण बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार, उनके मुनाफे और पूंजी पर असर पड़ेगा| गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) में तरलता के कायम संकट के कारण बैंकिंग क्षेत्र के लिये बुरा संकेत है|विदित हो कि आईएलएंडएफएस के सितंबर 2018 में दिवालिया होने के बाद से NBFC क्षेत्र तरलता संकट से जूझ रहा है|मूडीज ने रिपोर्ट में कहा कि एनबीएफसी के उपभोक्ताओं की वित्तीय स्थिति कमजोर होने से उन्हें बैंक भी ऋण देने में आना-कानी करेंगे|आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी सोमवार को कुछ ऐसे ही विचार प्रकट किये|उन्होंने एनबीएफसी की वित्तीय हालत को दुरुस्त करने के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही|

विनिर्माण क्षेत्र:

विनिर्माण क्षेत्र में आयी गिरावट भी आर्थिक सुस्ती का एक बड़ा कारण है|इस बात को हम आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की इस टिप्पणी से समझ सकते हैं|उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक नरमी के लिए केवल वैश्विक कारक पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं है। दास ने कहा भारत को विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च आर्थिक वृद्धि के लिए अहम है| रिजर्व बैंक ने समझ लिया था कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ने वाली है और उसने सुस्ती शुरू होने से पहले ही फरवरी से रेपो दर में कटौती शुरू कर दी। रिजर्व बैंक आगे भी आर्थिक नरमी, मुद्रास्फीति में वृद्धि, बैंकों और एनबीएफसी की वित्तीय हालत को दुरुस्त करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।वैश्विक अर्थव्यस्थाओं का आवाहन करते हुए शक्ति कान्त ने कहा कि, वैश्विक आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सभी विकसित और उभरती अर्थव्यस्थाओं द्वारा समन्वित और समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की आवश्यकता है।