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कर संग्रह में कमी के कारण जीएसटी दरों में कटौती मुश्किल

तय लक्ष्य से काफी पीछे है सरकार का कर संग्रह

आर्थिक सुस्ती से जूझ रही सरकार के लिए कर संग्रह भी बुरी खबर ले के आया है| सरकार का कर संग्रह उसके तय लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है| चालू वित्त वर्ष की एक अप्रैल से 17 सितंबर की अवधि में सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.7 प्रतिशत बढ़कर 5.50 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.25 लाख करोड़ रुपये रहा था|जबकि इस वित्त वर्ष के लिये सरकार ने कर संग्रह में 17.5 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया था|

कर संग्रह आशा के अनुरूप न रहने की वजह मांग में गिरावट और कुल वृद्धि में कमी साफ़ नजर आ रही है| चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत पर आ गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है|पीटीआई की खबर के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से 17 सितंबर की अवधि में सरकार का टैक्‍स कलेक्‍शन बढ़ा जरूर है लेकिन निर्धारित  लक्ष्‍य से बहुत पीछे है| बता दें कि चालू वित्त वर्ष के दूसरे तिमाही के अब आखिरी दिनों को देखते हुए सरकार को लक्ष्‍य हा‍सिल करने के लिए कलेक्‍शन की रफ्तार आगामी तिमाही (अक्‍टूबर-दिसंबर) में दोगुनी करनी पड़ेगी|

पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक़ 5.50 लाख करोड़ रुपये के टैक्‍स कलेक्‍शन में से एडवांस टैक्‍स कलेक्‍शन 7.3 फीसदी बढ़कर 2.20 लाख करोड़ रुपये पर है.जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में एडवांस टैक्‍स कलेक्‍शन 2.05 लाख करोड़ रुपये था| इस दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा उसके पूरे वर्ष के बजट अनुमान के 77 फीसदी से आगे निकल चुका है|आंकड़ों के अनुसार जुलाई में राजकोषीय घाटा 5.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि ये पूरे वर्ष के लिए बजट में 7.03 लाख करोड़ रुपये निर्धारित था|

आर्थिक मंदी की आहट की वजह से सरकार चौतरफा आलोचना से घिरी सरकार के लिए ये एक बहुत बुरी खबर है|बता दें कि कर संग्रह सरकार की आय का सर्वप्रमुख जरिया है| अगस्त में जीएसटी संग्रहण में पिछले छह महीनों की सबसे अधिक कमी आई है| पिछले वित्त वर्ष में भी सरकार प्रत्यक्ष कर संग्रहण का लक्ष्य 63 हजार करोड़ रुपये से चूक गई थी|दूसरी तरफ विभिन्न  उद्योग लगातार सरकार के ऊपर जीएसटी दरों में कटौती करने का दबाव बना रहे हैं|ऐसे में ये आंकड़े  20 सितंबर को होने वाली जीएसटी(GST) काउंसिल मीटिंग में  सरकार के लिए जीएसटी दरों में किसी भी प्रकार की कटौती को मुश्किल बना देंगे|