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टैरिफ ऑफरों के नाम पर अब भ्रमित नहीं कर सकेगी दूरसंचार कंपनियां

ट्राई ने कहा टैरिफ से जुड़ी जानकारियों में पारदर्शिता की बहुत कमी है।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण, ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) ने कहा टैरिफ से जुड़ी जानकारियों में पारदर्शिता की बहुत कमी है और इस बारे में हमें उपभोक्ताओं से बड़ी संक्या में शिकायतें मिली हैं। ट्राई  ने एक बयान में कहा, ‘ऐसा लगता है कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराई जा रही जानकारियों में पारदर्शिता की कमी है इसलिए संबंधित प्रावधानों की व्यापक समीक्षा की जरूरत है।’ जी हाँ अमर उजाला समाचार के अनुसार ट्राई ने कहा कि इस क्रम में हर जरूरी जानकारी उपलब्ध कराकर उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए एक परामर्श पत्र जारी किया गया है।

दूरसंचार कंपनियां टैरिफ ऑफरों के नाम पर अब उपभोक्ताओं को भ्रमित नहीं कर सकेगी। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ट्राई ने दूरसंचार कंपनियों द्वारा टैरिफ ऑफर्स के प्रकाशन में पारदर्शिता के मुद्दे पर परामर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ट्राई ने कहा उपभोक्ताओं से मिली में शिकायतें के बाद हमने यह कदम उठाया है।
सूत्रों का कहना है कि यह परामर्श पत्र टैरिफ सीमा और उससे संबंधित मुद्दों से जुड़ा नहीं है। यह ग्राहकों को होने वाली टैरिफ पेशकश पर उनके साथ होने वाले संवाद पर गौर करता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हाल के वर्षों में दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से दूरसंचार कंपनियों ने अपने टैरिफ में खासी कमी की है। नतीजतन सभी कंपनियों का राजस्व और समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बीते तीन साल में खासा कम हुआ है। दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को संसद में कहा कि तीन साल में दूरसंचार क्षेत्र के राजस्व में लगभग 41 हजार करोड़ रुपये की कमी आई है जिसका सबसे बड़ा कारण है मोबाइल सेवा दरों में की गयी कमी। श्री प्रसाद ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि दूरसंचार क्षेत्र का कुल राजस्व 2016-17 में 2.65 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो एक साल बाद घटकर 2.46 लाख करोड़ रुपये और 2018-19 में 2.24 लाख करोड़ रुपये रह गया।