निजी कंपनी बनने की कतार में BPCL
BPCL को निजीकरण के लिए नहीं लेनी होगी संसद की मंजूरी

सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी 53.29 फीसदी हिस्सेदारी बेचेने का फैसला किया है| सरकार डॉमेस्टिक फ्यूल रिटेलिंग में मल्टीनेशनल कंपनियों को लाना चाहती है ताकि प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सके| इस निजीकरण की प्रक्रिया से न केवल सरकारी कंपनियों के वर्चस्व वाले फ्यूल रिटेलिंग सेक्टर में बदलाव आएगा बल्कि सरकार के 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य का कम से कम एक तिहाई हिस्सा पूरा करने भी मदद मिलेगी|
बता दें, सरकार ने 2016 में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को रद्द कर दिया है| जिस करण अब कंपनी को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों को बेचने से पहले संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं रह गई है| सरकार ने रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 ने 187 बेकार और प्रचलित कानूनों को रद्द किया था| इसमें 1976 का वह कानून भी शामिल था, जो पहले बुरमाह शेल के नाम से जानी जाने वाली बीपीसीएल को राष्ट्रीयकृत करता था|
बीपीसीएल को खरीदने के लिए सऊदी अरामको से लेकर फ्रांस की टोटल एसए जैसी कंपनियां भी बोली लगा सकती हैं| ये कंपनियां भारत के फ्यूल रिटेल मार्केट में एंट्री करना चाहती हैं, जो कि दुनिया का फास्टेस्ट ग्रोइंग फ्यूल रिटेल मार्केट है| बीपीसीएल को खरीदने के लिए भारतीय कंपनियों में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन भी बोली लगा सकती हैं|