पतंजलि का हुआ Nutrela
अधिग्रहण की प्रक्रिया हुई पूर्ण, पतंजलि ने किया पूरे 4,350 करोड़ रूपए का भुगतान

Nutrela ब्रांड के लिए मशहूर रूचि सोया कंपनी को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने अधिग्रहित कर लिया है| योग गुरू बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने लंबी जदोजहद के बाद आखिरकार बुधवार को दिवालिया घोषित हो चुकी रुचि सोया को 4,350 करोड़ रुपए में खरीद लिया| विदित हो कि पतंजलि का यह पहला अधिग्रहण है| पतंजलि ने रुचि सोया का अधिग्रहण इंसाल्वेंसी प्रक्रिया का तहत किया|
भारत के खाद्द तेल की दूसरी बड़ी कंपनी बनी पतंजलि
संपर्क करने पर पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एसके तिजारेवाला ने कहा कि हमने सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया है और ऋण और इक्विटी की पूरी राशि जमा कर दी गई है| अब आधिकारिक तौर पर रुचि सोया पतंजलि समूह की कंपनी बन गई है| मौजूदा समय में रुचि सोया के पास न्यूट्रीला, महाकोष तेल, सनरिच आदि ब्रांड्स हैं| कंपनी के देशभर में 20 से ज्यादा प्लांट है और इसकी 11.50 लाख रिटेल आउटलेट के जरिए कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री होती है| इस डील के पूरा हो जाने के बाद पतंजलि आयुर्वेद 14 फीसदी मार्केट शेयर के साथ देश की दूसरी बड़ी खाद्य तेल बनाने वाली कंपनी बन जाएगी| ज्ञात हो की 19 फीसदी मार्केट शेयर के साथ अभी अदानी विल्मार पहले नबंर पर काबिज है|
सूत्रों ने कहा कि पतंजलि ने वित्तीय ऋणदाताओं के रुचि सोया पर 4,350 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान कर दिया है| उसने यह भुगतान 1,100 करोड़ रुपए की शेयर पूंजी और बाकी 3,250 करोड़ रुपए कर्ज के रूप में जुटाए गए राशि से किया है| साथ ही पतंजलि आयुर्वेद द्वारा रूचि सोया के अधिग्रहण की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है| यह राशि एस्क्रो खाते में स्थानांतरित कर दी गयी है और वित्तीय लेनदारों को वितरित की जा रही है|
इसी मंगलवार को NCLT ने दिया था अंतिम एक सप्ताह का समय
दिसंबर 2017 में नेशनल लॉ ट्रिब्यून (NCLT) ने इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया के तहत रुचि सोया नीलामी का आदेश दिया था| साल 2019 में ही पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया को अधिग्रहण करने का अप्रूवल हासिल किया था| हालांकि पूर्व में NCLT ने पतंजलि की ओर से जमा कराए गए 600 करोड़ रुपए के स्रोत के बारे में सही जानकारी न मिलने पर अधिग्रहण के फैसले को सुरक्षित रख लिया था| फिर इस मंगलवार 17 दिसंबर को NCLT ने बाबा रामदेव के नेतृत्व वाले पतंजलि आयुर्वेद को कर्ज बोझ तले दबी खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया का 4,350 करोड़ रुपए में अधिग्रहण करने का सौदा पूरा करने के लिए एक सप्ताह का समय और दे दिया था| न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली NCLT की तीन सदस्यीय पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद की अर्जी पर सौदे को पूरा करने की अंतिम समयसीमा मंगलवार को 23 दिसंबर तक बढ़ा दी थी| इससे पहले अपीलीय न्यायाधिकरण ने समयसीमा को बढ़ा कर 16 दिसंबर तक किया था|
पतंजलि आयुर्वेद को शुरू में इस अधिग्रहण को पूरा करने के लिए 21 नवंबर तक का समय दिया गया था| अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस मामले में यह भी छूट दी थी कि यदि तय समयसीमा के भीतर पतंजलि आयुर्वेद रुचि सोया के सौदे का भुगतान करने में नाकाम रहती है, तो ऋणदाता वापस फिर से न्यायाधिकरण के पास जा सकते हैं| पतंजलि आयुर्वेद के वकील एएस चांडिओक ने कहा था कि भुगतान के लिये एक सप्ताह का समय और मिलने से कंपनी को अपने योजना को अमलीजामा पहनाने में मदद मिलेगी| कंपनी ऋदाताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर पहले ही कर चुकी थी|
ऋणदाताओं को अपने कुल बकाए रकम का 60% राशि छोड़नी पड़ी
इससे पहले 30 अप्रैल को रुची सोया को कर्ज देने वाली संस्थाओं की समिति ने पतंजलि समूह की रुचि सोया को 4,350 करोड़ रुपए में अधिग्रहीत करने की योजना को स्वीकार कर लिया था| इस समाधान योजना में ऋणदाताओं को अपने कुल बकाए रकम की 60 फीसदी राशि छोड़नी पड़ रही है| विदित हो कि खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया पर बैंकों का 9,345 करोड़ रुपए का बकाया था| इसमें से भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह का कुल 9,345 करोड़ रुपए बकाया था| साथ ही SBI का अकेले 1800 करोड़ रुपए, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 816 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 743 करोड़ और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का 608 करोड़ रुपए बकाया था। वहीं DBS का 243 करोड़ रुपए का बकाया था|