विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम क्या है? फेमा के उद्देश्य क्या हैं?
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), वर्ष 1999 से प्रभाव में आया

जब व्यापारी अपने उत्पादित देशों से वस्तुओं का आयात करते हैं और अपने उत्पादनों को विदेशों में निवेश के लिए निर्यात करते हैं| जिससे विदेशी मुद्रा का लेन देन और आदान प्रदान बढ़ता है| इस प्रक्रिया को विदेशी मुद्रा विनियमन कहा जाता है|
फेमा (Foreign Exchange Management Act) क्या है?
भारत में वस्तुओं और उत्पादन के लेन देन, आयात निर्यात होता है तब विदेशी मुद्रा शामिल होती हैं| विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), वर्ष 1999 से प्रभाव में आया था। इस अधिनियम में वर्ष 1999 ले लेकर अभी तक 93 संशोधन हो चुके हैं। आर्थिक सुधारों तथा उदारीकृत परिदृश्य के प्रकाश में फेरा को एक नए अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया जिसे फेमा कहा जाता है।
फेमा किस तरह से कार्य करता है:
- फेमा की शुरुआत एक निवेशक अनुकूल विधान के रूप में की गई थी परन्तु यह एक अर्थ में पूर्णतया सिविल विधान है क्योंकि इसके उल्लघंन में केवल मौद्रिक शास्तियों तथा अर्थदंड का भुगतान करना ही शामिल है।
- यह अधिनियम भारत में स्थित व्यक्ति के नियंत्रण में रहने वाली भारत के बाहर की सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा प्राधिकरणों पर लागू होता है।
- फेमा को कानून से उद्योग में अनुकूल विधान अपनाने के लिये उपलब्ध कराई गई है।
- इसके तहत किसी व्यक्ति को सिविल कारावास का दंड दिया जाता है वह नोटिस मिलने के 90 दिनों के अंदर फ़ाईन का भुगतान न करे तो दंड भी ‘कारण बताओ नोटिस’ तथा ‘वैयक्तिक सुनवाई की औपचारिकताओं’ के पश्चात् दिया जा सकता है।
- फेमा में केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूति में लेनदेन करने की अनुमति दी गई है। अधिनियम के अंतर्गत, ऐसे अधिकृत व्यक्ति का अर्थ अधिकृत डीलर, मनी चेंजर, विदेशी बैंकिंग यूनिट या कोई अन्य व्यक्ति जिसे उसी समय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया है।
ये हैं फेमा के मुख्य उद्देश्य:
- विदेशी व्यापार तथा भुगतानों को आसान बनाना
- विदेशी मुद्रा बाजार का व्यवस्थित विकास तथा अनुरक्षण और संवर्धन करना
फेमा विदेशी मुद्रा के लेनदेन की दो श्रेणियां हैं:
- पूंजी खाता लेनदेन
- चालू खाता लेनदेन
पूंजी खाता लेनदेन वह है जो पूंजी खाता पूंजी के प्रवाह और आउटफ्लो का रिकॉर्ड है जो किसी देश की विदेशी संपत्तियों और देनदारियों को सीधे प्रभावित करता है। यह किसी दिए गए देश के नागरिकों और अन्य देशों के नागरिकों के बीच सभी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेनदेन से संबंधित है। पूंजीगत खाते के घटकों में विदेशी निवेश और ऋण, बैंकिंग पूंजी और पूंजी के अन्य रूपों, साथ ही मौद्रिक आंदोलन या विदेशी मुद्रा भंडार में बदलाव शामिल हैं।
चालू खाता लेनदेन वह है जो पूंजी खाता लेनदेन के अलावा लेनदेन के सामान्य पूर्वाग्रह के बिना विदेशी मुद्रा में भुगतान करना| इसके अंतर्गत चालू व्यवसाय सेवाएं तथा लघु-अवधि बैंकिंग, आम व्यवसाय में ऋण सुविधाएं शामिल हैं।
जानिए फेमा की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में:
- फेमा के अधिनियम, भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होता।
- फेमा की आवेदन प्रक्रिया बहुत पारदर्शी है और इसमें विदेशी मुद्रा के अधिग्रहण/ जमाखोरी पर रिजर्व बैंक या भारत सरकार के निर्देश स्पष्ट हैं ।
- फेमा विदेशी मुद्रा के लेनदेन की दो श्रेणियां हैं: पूंजी खाता और चालू खाता लेनदेन।
- यह पूर्णरूप से चालू खाते की परिवर्तनीयता के अनुरूप है और इसमें पूंजी खातों का लेन-देन हेतु प्रगतिशील है।
- यह भारत में रहने वाले एक व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वह भारत के बाहर संपत्ति को खरीद सकता है मालिकी जाता सकता सकता है अपना मालिकाना हक़ भी किसी और को दे सकता हैI
- यह अधिनियम एक सिविल कानून है फेमा अधिनियम के उल्लंघन में असाधारण मामलों में केवल गिरफ्तारी किया जा सकता है।