म्युचुअल फंड में SIP से बढ़ा निवेश
नवंबर में SIP से 8,272 करोड़ रूपये का निवेश

म्युचुअल फंड देश का सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला निवेश प्लेटफोर्म बनता जा रहा है|2019 के विभन्न महीनों में आयी AMFI की रिपोर्ट से ये नतीजे सामने आ रहे हैं| हालांकि निवेशक लम्पसम की बजाय Sip के माध्यम से निवेश को वरीयता दे रहे हैं|इक्विटी म्युचुअल फंड में बीते कुछ सालों से निवेशकों ने एसआईपी के माध्यम से निवेश को ज्यादा पसंद किया है|
नवंबर में SIP से 8,272 करोड़ रूपये का निवेश:
वित्त वर्ष 2019 अपने समापन ओर बढ़ चला है|बीते कुछ सालों की तरह इस साल भी इक्विटी फंडों में निवेश करने वाले निवेशकों ने SIP में अपना भरोसा जताया है| निवेशक इक्विटी फंड में एसआईपी के माध्यम से निवेश को वरीयता दे रहे हैं|एम्फी,असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2019 में SIP से निवेश राशि 8,272 करोड़ रुपये पहुंच गयी है। इस दौरान एसआईपी से निवेश करने वाले खतों की संख्या में भी अच्छी बढ़त नजर आ रही है| नवंबर में SIP से निवेश करने वाले खातों की कुल संख्या 2.94 करोड़ हो गई है|काबिलेगौर है इनमें से 5.33 लाख नये खाते नवंबर में जुड़े हैं।
टिकट साईज में आयी कमी:
एसआईपी में वृद्धि के बीच टिकटों की घटती साईज ने एएमसी कि चिंता बढ़ाई है|एम्फी के मुताबिक, रिटेल निवेशकों का ऐवरेज टिकट साइज इस साल सितंबर में 59,201 रह गया, जो 2018 में 77,318 था।टिकट साईज में आयी 23 प्रतिशत की गिरावट ने म्युचुअल फंड इंडस्ट्री की चिंता बढ़ाई है| बता दें कि स्कीम की कुल संपत्ति में उस वर्ग के कुल अकाउंट्स की संख्या से भाग देने पर ऐवरेज टिकट साइज निकलता है।
बदला है निवेशकों का रुझान:
बाजार विश्लेषकों के अनुसार टिकट साईज में गिरावट के कई कारण संभावित हैं। इसकी एक वजह नए और पहली बार निवेश करने वाले हो सकते हैं। नए निवेशक म्युचुअल फंड Mutual Fund में आमतौर पर छोटी रकम के साथ पैसा लगाने की शुरुआत करते हैं। इसलिए इन लोगों की संख्या बढ़ने से इंडस्ट्री के ओवरऑल आंकड़ों में गिरावट आनी तय है। कई स्कीम्स में अपने निवेश को बांटने की अभिरुचि को भी गिरावट का एक बड़ा कारण माना जा रहा है| इसके अलावा अपेक्षित रिटर्न न मिलने की दशा में निवेश को अलग पोर्टफोलियो में निवेश करने से भी फंड कि टिकट साईज में गिरावट आ सकती है|बाजार के जानकारों का मानना है कि इन दिनों निवेशकों के रुझान में तेजी से बदलाव आया है|निवेशक अवधि आधारित रिटर्न की बजाय तुरंत रिटर्न प्राप्त करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं|