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डीपीआईआईटी : ई-वाणिज्य मसौदे डाटा पर कंपनियों से करेगी चर्चा

सरकार ने पिछले साल फरवरी में राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा जारी किया था।

भारत के ई-कॉमर्स उद्योग का कारोबार 2017 मे लगभग 39 अरब डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है जो 2026 तक बढ़कर 200 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच जाने की आशंका है। उधर  बिजनेस-टू-बजनेस ई-कॉमर्स के 300 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 तक लगभग 700 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान लगाया गया है।

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade – DPIIT) ने डेटा के भंडारण या स्टोरेज पर ई-कॉमर्स नीति के मसौदे के गुण-दोष पर चर्चा करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और ई-वाणिज्य क्षेत्र के प्रतिनिधियों की 14 जनवरी को बैठक बुलायी है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है।सूत्रों का कहना है कि इस चर्चा में एक्सेंचर, एडोब, फेसबुक, जेनपैक्ट, गूगल, एचसीएल, इन्फोसिस, इन्टेल, माइक्रोसॉफ्ट और टीसीएस जैसी कंपनियों के प्रतिनिधियों के भाग लेने का अनुमान है।

इनके अलावा नास्कॉम, ई-कॉमर्स काउंसिल आफ इंडिया, इन्फार्मेशनल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री काउंसिल, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और फिक्की जैसे उद्योग एवं वाणिज्य संगठनों के प्रतिनिधि भी बैठक में उपस्थित रह सकते हैं।इस बैठक की अध्यक्षता डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी करेंगे।यह बैठक इस लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाती है कि विभाग चालू वित्त वर्ष के अंत तक राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति जारी करने पर काम कर रहा है।

डेटा देश से बाहर ले जाने पर लगाईं रोक

सरकार ने पिछले साल फरवरी में राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का मसौदा जारी किया था। मसौदे में देश से बाहर डेटा ले जाने पर रोक लगाने के लिये वैधानिक व तकनीकी खाका तैयार करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा मसौदे में संवेदनशील डेटा को स्थानीय स्तर पर भंडारित करने तथा विदेश में प्रसंस्कृत करने वाली कंपनियों के लिये शर्तों का भी प्रस्ताव किया गया है।कुछ विदेशी कंपनियों ने मसौदे में डेटा को लेकर किये गये प्रस्तावों पर आपत्तियां व्यक्त की हैं। विभाग को मसौदे पर व्यापक स्तर पर प्रतिक्रियाएं मिली हैं और वह मिले सुझावों का मूल्यांकन कर रहा है।

मसौदा नीति में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी कंपनियां उन रुझानों की पहचान करने के लिए बड़ी मात्रा में असंरचित या अव्यवस्थित डेटा एकत्र करने में सक्षम हैं जिनका महत्वपूर्ण वाणिज्यिक मूल्य है। इसमें यह दलील दी गई है कि डेटा तक सुनिश्चित पहुंच बाजार में विकृतियों को जन्म देती है क्योंकि नेटवर्क संबंधी प्रभावों के कारण संभावित प्रतिद्वंद्वि‍यों के लिए उभरना लगभग असंभव हो जाता है। यही कारण है कि इस नीति में ‘सरकार को स्रोत कोड और एल्गोरिदम की जानकारी मांगने संबंधी अपना अधिकार सुरक्षित रखना चाहिए’ ताकि वह वाणिज्यिक हितों और उपभोक्ता संरक्षण में समुचित संतुलन स्‍थापित कर सके।