वित्त मंत्रालय ने मांगे करदाताओं से सुझाव
आगामी बजट की तैयारी शुरू

वित्त मंत्रालय ने आगामी बजट की तैयारी शुरू करते हुए उद्योग और व्यापार संघों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बदलाव के बारे में उनके सुझाव मांगे हैं। इस साल अपना पहला बजट संसद द्वारा पारित होने के एक महीने के अंदर ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा करनी पड़ी थी। 1 फरवरी, 2020 को वे अपना दूसरा बजट पेश करेंगी।
वित्त मंत्रालय की बड़ी पहल:
बता दें कि कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मंदी जैसे मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा|उनके वर्तमान कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई बड़े निर्णय भी लिए गये| अपनी तरह के पहले मामले में वित्त मंत्रालय ने अगले बजट के लिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स में इंडस्ट्री और ट्रेड एसोसिएशन से सुझाव मांगे हैं।देश में संभवत: यह पहली बार है जबकि वित्त मंत्रालय ने इस तरह के सुझाव आमंत्रित किये हैं।
वित्त मंत्रालय ने जारी किया सर्कुलर:
11 नवंबर को जारी किए गए इस सर्कुलर में उद्योग और ट्रेड एसोसिएशन को कहा गया है कि वे ड्यूटी स्ट्रक्चर, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के टैक्स पर टैक्स बेस दरों और उनमें बदलाव की सलाह दे सकते हैं।इस विषय पर उनके सुझाव के साथ उनका आर्थिक स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। सर्कुलर के अनुसार,करदाता अपने सुझाव और विचार को प्रमाणित करने के लिए उपयुक्त आंकड़े भी दे सकते हैं |वे अपने प्रस्ताव के समर्थन में कोई अन्य जानकारी जमा कर सकते हैं।इस स्तर के सभी सुझाव मंत्रालय को 21 नवंबर तक दिये जा सकते हैं।विदित हो कि बजट की तैयारी के लिए मंत्रालय विभिन्न सेक्टरों और स्टेकहोल्डर्स के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करता है|किंतु यह पहली बार है जब सर्कुलर जारी करके लोगों से इनकम टैक्स रेट और एक्साइज और कस्टम ड्यूटी जैसे इनडायरेक्ट टैक्सेज में बदलाव करने के बारे में सलाह मांगी है|
अन्य चर्चित निर्णय:
वित्त मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण के निर्णय पर काफी चर्चाएँ होती रही हैं|इस निर्णय के पूर्व उन्होंने 20 सितंबर को घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को 30 से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही एक अक्टूबर के बाद स्थापित होने वाली सभी विनिर्माण कंपनियों के लिए कर की दर को 15 प्रतिशत रखा गया है। इसमें अतिरिक्त कर और अधिभार सहित यह दर 17 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।