शेयर बाजार में स्विंग ट्रेडिंग क्या है और इसके तरीके
स्विंग ट्रेडर, मुख्य रूप से टेक्नीकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं।

शेयर बाजार में स्विंग ट्रेडिंग एक लोकप्रिय ट्रेडिंग सिस्टम है और इसे ट्रेडिंग का किंग कहा जाता है। स्विंग ट्रेडिंग, ट्रेडिंग की एक शैली है जो एक से अधिक दिन से लेकर कुछ दिनों या कुछ हफ्तों तक चल सकती है। इसमें ऑप्शन या स्टॉक में आने वाले मोमेंटम के द्वारा लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। ये एक तरह से एक छोटे टाइम पीरियड के रेंज में की जाने वाली ट्रेडिंग है, जैसे – 2 दिन या 7 दिन या फिर 15 दिन के टाइम पीरियड में स्टॉक खरीदना और बेचना।
Swing Trading की ख़ास बातें
- ये एक तरह से एक छोटे टाइम पीरियड के रेंज में की जाने वाली ट्रेडिंग है।
- स्विंग ट्रेडर, मुख्य रूप से टेक्नीकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं।
- आवश्यकता पड़ने पर फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग भी किया जाता है।
- स्विंग ट्रेडर का टारगेट प्राप्त करने के चान्सेस ज़्यादा होते हैं।
- स्विंग ट्रेडर को कम क्वान्टिटी के साथ या छोटा ट्रेड लेने की सलाह दी जाती है।
- स्वींग ट्रेडिंग को डिलीवरी बेस्ड ट्रेडिंग या शार्ट टर्म ट्रेडिंग भी कहा जाता है।
स्विंग ट्रेडर, मुख्य रूप से टेक्नीकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं जिसमे ये ट्रेडर, चार्ट एनालिसिस और इंडिकेटर के आधार पर किसी स्टॉक या इंडेक्स के प्राइस पैटर्न को समझकर सौदा करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग भी किया जाता है जिसमें स्विंग ट्रेडर किसी स्टॉक के रिजल्ट, कोई विशेष न्यूज़ या कम्पनी में होने वाले बड़े बदलाव जैसे आधार पर भी ट्रेड सेट करते हैं। अगर कोई स्टॉक कंसोलिडेट कर रहा हो तो उसके ब्रेकआउट का इंतज़ार किया जाता है। जिस दिशा में ब्रेकआउट हो उसके अनुसार ट्रेड बनाये जाते हैं। स्विंग ट्रेडिंग के लिए 1 घंटे के सुपरट्रेंड इंडिकेटर का प्रयोग भी एंट्री और एग्जिट के लिए किया जाता है।
Swing trading पिछले दिनों में मार्केट या स्टॉक की चाल के आधार आने वाले दिनों में होने वाले रुझान को समझने का प्रयास करते हैं। स्विंग ट्रेडिंग में कुछ दिनों से लेकर ज़्यादातर 3 -4 सप्ताह तक ट्रेडर को सजग रहना होता है। स्विंग ट्रेडर सपोर्ट और रेजिस्टेंस को ध्यान में रखकर सौदा करता है और किसी भी स्टॉक का प्राइस सीधे एक दिशा में नहीं चलता वह बीच में एक बार रुकता जरूर है फिर थोड़ा रिवर्स लेकर ऊपर या नीचे जाता है। इसलिए स्विंग ट्रेडर का टारगेट प्राप्त करने के चान्सेस बढ़ जाते हैं।
स्विंग ट्रेडर का सबसे बड़ा रिस्क अगले दिन मार्केट खुलने पर बड़ा गैप अप या गैप डाउन होना है। यह अप्रत्याशित रूप से कभी भी हो सकता है। क्योंकि देश या विदेश में अचानक होने वाले घटनाक्रम को पहले से किसी भी विश्लेषण द्वारा नहीं जाना जा सकता। ऐसी दशा में मुनाफा या घाटा दोनों ही बड़ा होगा। घाटे की दशा में ट्रेडर की कैपिटल एक बार में ही वाइप आउट न हो जाए इसलिए स्विंग ट्रेडर को कम क्वान्टिटी के साथ या छोटा ट्रेड लेने की सलाह दी जाती है जिससे घाटे की स्थिति में अपनी स्थिति को मार्केट में मार्जिन भरकर बनाये रख सके।