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अब वैश्विक कंपनियां करेंगी कोयले का खनन

अध्यादेश के जरिये खनन को मंजूरी

भारत विश्व के सबसे बड़े कोयला भंडार वाले देशों में शामिल है|इसके बावजूद भी हमें अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए कोयला अन्य देशों से आयात करना पड़ता है|इस आयात का प्रभाव  निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ता है| इस समस्या को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों के निवेश के रास्ते खोल दिए हैं|

अध्यादेश के जरिये खुला खनन का रास्ता:

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अध्यादेश के जरिये खनन को मंजूरी दी है|इस अध्यादेश के जारी होने के बाद सभी क्षेत्रों के लिए कोयला खनन का रास्ता खुल जाएगा| साथ ही साथ कोयला खदानों की नीलामी के लिए मौजूदा नियम भी आसान होंगे| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 31 मार्च को मौजूदा खनन पट्टा समाप्त होने से पहले लौह अयस्क और अन्य खनिज खानों की नीलामी को भी मंजूरी दे दी है, जिससे कि उत्पादन प्रभावित न हो| सरकार को उम्मीद है कि इस अध्यादेश के बाद कोयला खनन क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा|

पाबंदियां हटाने से उत्पादन बढेगा:

सरकार को उम्मीद है कि विदेशी कंपनियों को शत प्रतिशत निवेश की छूट मिलने से भारत, अपने खनिज भंडार का न केवल दोहन कर सकेगा बल्कि वैश्विक कंपनियां अपनी नयी-नयी प्रौद्योगिकी के साथ भारत में अपना कारोबार स्थापित कर सकेंगी| इसके साथ ही सरकार ने कोयले के अंतिम इस्तेमाल पर से अंकुश हटाने का भी फैसला लिया है| सरकार का मानना कोयले के अंतिम प्रयोग पर लगी पाबंदियां हटाने से उत्पादन और खनन उद्योग की दक्षता भी बढेगी|

पहले ये था नीयम:

विदित हो  कि पूववर्ती  खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) कानून, 1957 और कोयला खान (विशेष प्रावधान) कानून, 2015 के मुताबिक सिर्फ कोयला खनन क्षेत्र की कंपनियों को कोयला खानों के लिए बोली लगाने की अनुमति थी| खनिज कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी मिलने के बाद न्यूनतम मानदंड पूरा करने वाली अन्य खनन कंपनियों के पास भी कोयला खानों के लिए बोली लगाने का अधिकार मिल जाएगा|