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बजट 2020 – इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट

बजट 2020 में ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स’ अच्छी धनराशि प्राप्त कर सकता है |

किसी भी देश के लिए उसकी आधारभूत संरचनाएं उसके भविष्य के विकास के लिए आधार तैयार करती हैं| इंफ्रास्ट्रक्चर न सिर्फ वर्तमान के विकास कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह भविष्य के निरंतर विकास क्रम को बनाए रखने के लिए भी यह बहुत जरुरी है, इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर में नए निवेश की जरुरत हमेशा पड़ते रहती है| विकास के इसी निरंतरता को बनाए रखने के लिए हर साल के केंद्रीय बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक धनराशि का प्रावधान किया जाता है, इसे इंफ्रास्ट्रक्चर बजट कहते हैं|

इस बार का बजट राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना से बहुत प्रभावित रहने वाला है| आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी:

राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज इस साल के आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में 102 लाख करोड़ रुपए के नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (National Infrastructure Projects) की घोषणा की| आज इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए 102 लाख करोड़ रूपए के बजट का तय किया है, जोकि अगले पांच सालों में विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च किए जाएंगे| इस 102 लाख करोड़ रूपए फंड को 21 मंत्रालयों के बीच आवंटित किया जाएगा| इसमें से सबसे ज्यादा 25 लाख करोड़ रूपए उर्जा क्षेत्र के लिए आवंटित किया गया है|

बजट 2020 में ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स’ की होगी औपचरिक घोषणा?

सरकार ने नए साल 2020 के शुरू होने से पूर्व महत्वकांक्षी ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स’ की घोषणा की है| उम्मीद है कि बजट 2020 में इस प्रोजेक्ट्स के लिए अच्छा हिस्सा मिलने की उम्मीद है| अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए कितनी धनराशि आवंटित होती है| अगर सरकार अपने इस महत्वकांक्षी परियोजना को प्रारंभ करने का निर्णय लेती है तो यह बजट 2020 नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के नाम हो सकती है|

केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी 39-39 प्रतिशत!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस नए आधारभूत परियोजना में 39-39 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र एवं राज्य सरकारों की होगी, जबकि शेष 22 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र का होगा| वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कार्यबल ने ऊर्जा, रेलवे, शहरी सिंचाई, मोबिलिटी, एजुकेशन और हेल्थ क्षेत्र की परियोजनाओं को चिह्नित किया है| वित्त मंत्री ने कहा कि देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना सरकार की प्राथमिकता है|

हर साल किया जाएगा ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन!

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि देश में अगले पांच साल में 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा| उन्होंने कहा कि 102 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं (NIP) से साल 2024-2025 तक भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में मदद मिलेगी| उन्होंने कहा कि दुनियाभर के निवेशकों को देश में निवेश के लिए आकर्षित करने के वास्ते 2020 की दूसरी छमाही से सालाना स्तर पर वैश्विक निवेशक सम्मेलन (ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट) का आयोजन किया जाएगा|

परियोजनाओं को मॉनीटरिंग के लिए होगा कार्यबल का गठन

सीतारमण ने दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को चिह्नित करने के लिए गठित कार्यबल ने 102 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं की सिफारिश की है| इसका लक्ष्य इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बढ़ावा देना है| वित्त मंत्री ने कहा कि चिह्नित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मॉनीटर करने के लिए National Infrastructure Pipeline Coordination mechanism की शुरुआत की जाएगी| मंत्री ने कहा कि  तीन लाख करोड़ रुपए की और परियोजनाओं को इसमें शामिल किए जाने की संभावना है|

70 संबंद्ध पक्षों से विचार-विमर्श के बाद हुआ निर्णय

विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश की बात की थी| निर्मला सीतारमण ने इसके बारे में बात करते हुए कहा कि इसके लक्ष्य पूर्ति के लिए गठित कार्यबल ने चार माह में 70 संबंद्ध पक्षों से विचार विमर्श के बाद 102 लाख करोड़ रुपए की विभिन्न परियोजनाओं को चिह्नित किया है|

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले वर्षों का लेखाजोखा पेश करते हुए कहा कि केंद्र और सभी राज्य सरकारों ने पिछले छह सालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर 51 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं| यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5-6% हिस्सा रहा|

सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 102 लाख करोड़ रूपए का आवंटन कर यह जता दिया है कि वह विकास को लेकर दृढसंकल्प है| किसी भी देश की उन्नति में इन्फ्रास्ट्रक्चर का बहुत योगदान होता है| किसी भी देश के विकास के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर आधार का कार्य करता है|

बजट 2019 की घोषणाएं 

विदित हो कि पिछले साल 2019 के बजट के अपने भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स’ के लिए संकेत देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार अगले पांच साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर 100 लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगी|

2019 के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ये घोषणाएं भी की गई थी:

  1. सरकार ने 2022 तक सभी के लिए आवास का लक्ष्य रखा है, इसके लिए 2019-20 से 2022 तक 1.95 करोड़ मकानों का निर्माण किया जाएगा|
  2. गांव-गांव तक रोड कनेक्टिविटी बेहतर करने के लिए अगले पांच साल में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत 1.25 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा। इस पर 80 हजार 250 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 97% लोगों को हर मौसम में सड़क मिलेगी।
  3. साल 2030 तक रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में 50 लाख करोड़ निवेश की जरूरत होगी| कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल से विकास और यात्री भाड़े से जुड़ी सेवाओं को विकसित किया जाएगा| स्टेशनों का आधुनिकरण किया जाएगा|
  4. सरकार आने वाले चार सालों में गंगा नदी में कार्गो शिप का आवागमन बढ़ाएगी| देश में वॉटरवे की संख्या में वृद्धि करने पर जोर दिया जाएगा|
  5. सरकार ‘नेशनल ट्रांसपोर्ट कार्ड’ शुरू करेगी|
  6. सरकार नेशनल हाइवे प्रोग्राम के रीस्ट्रक्चर पर ध्यान लगाएगी|

बजट 2020 से इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की उम्मीदों की समीक्षा

इस बजट 2020 में सरकार का जोर अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी रहेगा| देश एक ऐसे दौर में है जब अर्थव्यवस्था सुस्ती की शिकार है तब सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचे पर अगले पांच वर्षों के दौरान 102 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं होगी| नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन यानी NIP पर गठित कार्यबल की रिपोर्ट पर सरकार ने यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है| इसमें संदेह नहीं कि यह कदम अर्थव्यवस्था को तेजी देने का काम करेगा, परंतु इसे मूर्त रूप देने की राह में तमाम चुनौतियां भी हैं| इसके तहत अगले पांच वर्षों के दौरान निवेश के लिए जो लक्ष्य तय किया है वह बीते छह वर्षों के दौरान बुनियादी ढांचे पर निवेश हुए 51 लाख करोड़ रुपए के दोगुने से भी अधिक होगा|

बजट 2020 की चुनौतियां

एक अनुमान के तहत वर्ष 2030 तक भारत को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 4.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी| इस कड़ी में सरकार की यह कोशिश न केवल कई क्षेत्रों को व्यापक लाभ पहुंचाएगी, बल्कि इससे मांग को भी सहारा मिलेगा| जैसे स्टील एवं सीमेंट जैसे बुनियादी उद्योगों में मांग जोर पकड़ेगी तो कुशल एवं अकुशल श्रमिकों के लिए भी रोजगार के तमाम अवसर सृजित होंगे| यानी तय है कि सरकार की यह पहल कई तरह से फलदायी होने जा रही है| फिर भी मौजूदा माहौल में इसे सिरे चढ़ाना टेढ़ी खीर मालूम पड़ता है| इसकी तमाम वजह हैं। सबसे पहली तो वित्तीय संसाधन जुटाने की है| इसमें केंद्र और राज्यों को मिलकर 78 प्रतिशत अंशदान करना है|

फंडिंग में संदेह!

फिलहाल कायम सुस्ती के कारण सरकारी कर संग्रह दबाव में है| वहीं निजी क्षेत्र पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है| सुस्त मांग को देखते हुए वह भविष्य में निवेश को लेकर सशंकित भी है| यदि निजी क्षेत्र निवेश के लिए तत्परता दिखाए भी तब क्या फंसे कर्जों से त्रस्त बैंक इन परियोजनाओं के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के लिए तैयार होंगे| यह सवाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के स्वरूप को देखते हुए और तार्किक है, क्योंकि ये अमूमन लंबी अवधि में पूरी होती हैं तो प्रतिफल भी देर से मिलना शुरू होता है| यदि किसी वजह से ये टल जाए तो उनकी लागत भी लगातार बढ़ोत्तरी होती जाती है| ऐसे में चाहे निजी निवेशक हो या ऋणदाता बैंक, कोई भी अपनी मुश्किलें बढ़ाना नहीं चाहेगा|

अब बजट 2020 में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए क्या सरप्राइज लेकर आती है, यह 1 फरवरी 2020 को वित्त मंत्री के अभिभाषण से ही ज्ञात हो पाएगा| तब तक अनुमान लगाते रहें|