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जानीये एनएफओ क्या है?

एनएफओ  एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नयी योजना  होती है

एनएफओ का अर्थ है नये फंड का ऑफर (New Fund Offer )|आईपीओ से मिलते जुलते नाम के कारण कई बार निवेशक इससे आकर्षित हो जाते हैं|जबकि ये एनएफओ बिलकुल विपरीत निवेश फंड है| NFO म्युचुअल फंड की नयी योजनाएं होती हैं|इसमें निवेश से पूर्व ये सोचना जरूरी होता है कि क्या ये  निवेश के लिए वास्तविक रूप से सही मौका है? क्या निवेशकों को एनएफओ में धन लगाने से पहले मौजूद योजनाओं में निवेश की तुलना में अधिक लाभ मिलता है? एनएफओ एक निवेशक के लिए फंड के विकल्पों को तो बढ़ाते ही हैं, लेकिन साथ ही ये भ्रम भी पैदा करते हैं।

क्या है NFO?

एनएफओ म्यूचुअल फंड का मतलब है नयी म्यूचुअल फंड स्कीम में जनता से सदस्यता निवेश एकत्र करना। ये नए फंड ऑफर्स विभिन्न म्युचुअल कम्पनियों द्वारा लॉन्च किए जाते हैं|इसके अंतर्गत सामान्य वित्तीय आवश्यकताओं के आधार पर समान समूह वाले व्यक्तियों के लिए नए फंड ऑफ़र पेश किये जाते  है। उदाहरण के लिए, मान लें कि फंड हाउस के पास हाइब्रिड म्यूचुअल फंड  की  श्रेणियों एग्रेसिव हाइब्रिड, कंजर्वेटिव हाइब्रिड, बैलेंस्ड हाइब्रिड, डायनेमिक एसेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज, मल्टी एसेट एलोकेशन, आर्बिट्राज और इक्विटी सेविंग स्कीम जैसे फंड उपलब्ध हैं। बाजार अनुसंधान के बाद, पता चलता है कि म्यूचुअल फंड में रुचि रखने वाले व्यक्तियों का एक समूह हाइब्रिड म्यूचुअल फंड  की एग्रेसिव हाइब्रिड, कंजर्वेटिव हाइब्रिड, बैलेंस्ड हाइब्रिड में निवेश को प्रमुखता देता है । ऐसे व्यक्तियों की जरूरत के आधार पर शुरू हुई नई निधि योजना को एनएफओ म्यूचुअल फंड कहा जाता है। एनएफओ म्यूचुअल फंड को ग्राहकों के एक विशिष्ट खंड की जरूरतों को ध्यान में  रखकर लॉन्च किया जाता है। निवेशक म्यूचुअल फंडों के न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) के प्रति इसलिए आकर्षित हो जाते हैं, क्योंकि इसमें एक यूनिट की कीमत 10 रुपये होती है| इसे nfo की  फेस वैल्यू कहते हैं| निवेशक इसे कंपनी के आईपीओ की तरह समझ बैठते हैं,जिसके कारण उन्हें हर यूनिट के लिए 10 रुपये की कीमत सस्ती लगती है|

NFO की कार्यप्रणाली:

एनएफओ  एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नयी योजना  होती है| इसके माध्यम से म्यूचुअल फंड कंपनी विभिन्न  शेयरों, सरकारी बॉन्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने के लिए निवेशकों से पैसे जुटाती है| म्यूचुअल फंड कंपनियां बाजार चढ़ने पर  एनएफओ लॉन्च करके निवेशकों को आकर्षित करती हैं| वे शेयर बाजार से ज्यादा रिटर्न कमाने के निवेशकों के लालच को भुनाती हैं| एनएफओ ज्यादातर ओपन एंडेड या क्लोज एंडेड होते हैं|विदित हो कि  क्लोज एंडेड फंड की अवधि आम तौर पर 3 से 3.5 साल की होती है,जिनमें सिर्फ ऑफर पीरियड के दौरान ही निवेश किया जा सकता है| इसके उलट ओपन एंडेड फंड के सब्सक्रिप्शन के लिए दोबार खुलने पर कभी भी निवेश किया जा सकता है| इसमें निवेश उसकी यूनिट की नेट एसेट वैल्यू पर किया जाता है|आईपीओ और म्यूचुअल फंड कंपनियों के एनएफओ में बहुत से अंतर होते हैं| आईपीओ कंपनी द्वारा निवेशकों से फंड जुटाने के लिए जारी किया जाता है|जबकि एनएफओ म्युचुअल फंड कंपनी को निवेशकों से पैसा जुटाने का मौका देता है|इस पैसे का निवेश वह फंड के तय लक्ष्य के मुताबिक शेयर, बॉन्ड या इस तरह के दूसरे इंस्ट्रूमेंट में करती है| न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) के माध्यम से म्युचुअल फंड एजेंसियां नयी  योजनाएँ अपने पोर्टफोलियो में जोड़ती  हैं। एनएफओ बेहद कम कीमत पर  खुलने की वजह से यह निवेशकों का ध्यान तुरंत आकर्षित करता है। यह फंड प्रबंधकों को भी योजनाओं को निवेशकों की बड़ी संख्या तक पहुँचाने के एक फ्लेटफार्म के रूप में काम करता है।

NFO में निवेश कैसे करें?

एनएफओ मुख्यतः  दो प्रकार के होते हैं – ओपन-एंड फंड और क्लोज-एंड फंड।इनमे निवेश निम्नलिखित दोनों प्रकारों से किया जा सकता है|

ओपन-एंड फंड: ओपन-एंड एनएफओ को लॉन्च के दिन ही खरीदा जा सकता है। ओपन-एंड फंड में शेयर खरीदे जाने की कोई सीमा नहीं होती है। इस प्रकार के फंड का प्रबंधन फंड कंपनी करती है। इन फंड में ब्रोकर के जरिए ट्रेडिंग की जा सकती है, क्योंकि इन शेयरों की ट्रेडिंग एक्सचेंज पर नहीं होती है। ओपन-एंड फंड हर रोज शेयर बाजार बंद होने के बाद अपनी एनएवी की घोषणा करते हैं।

क्लोज-एंड फंड: क्लोज-एंड फंड एनएफओ के लॉन्च में सीमित संख्या में शेयर जारी किए जाते हैं। इस तरह के फंड सबसे ज्यादा मार्केटेड न्यू फंड ऑफर होते हैं। क्लोज-एंड फंड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग होती है। ब्रोकर के जरिए लॉन्च के दिन इस प्रकार के फंड को खरीदा जा सकता है।

इसके अतिरिक्त फंड हाउस द्वारा दी गई पसंद के आधार पर निवेशक एक लम्पसम निवेश कर सकते हैं या एसआईपी के माध्यम से भी निवेश कर सकते हैं। NFO में निवेश गहन विश्लेषण करने के बाद किया जाना चाहिए।

NFO में निवेश के लाभ:

किसी एनएफओ को खरीदने से पहले  एनएफओ के वैल्यू प्रापजिशन का मूल्यांकन अवश्य  करें जिससे फंड को पोर्टफोलियो में शामिल करने से होने वाले फायदे का अनुमान लगाया जा सके| nfo मुख्यतः नये फंड होते हैं|अतः इनमे लाभ कि सीमित संभावना होती है|

  1. एनएफओ में दूसरे फंड के मुकाबले विशिष्टाएं हो सकती हैं|ये निवेशकों के लिए लाभ अर्जित करने का मौका हो सकती हैं|
  2. एन एफ ओ में  नए ऑफर होने की वजह से कम लागत में निवेश कर सकते हैं।निवेशकों के चयन बिंदु से ये भी एक महत्वपूर्ण कारक है|

NFO में निवेश से पूर्व सावधानियां:

  1. एनएफओ म्युचुअल फंड नए होते हैं,ऐसे में उनके भविष्य के प्रदर्शन को निर्धारित करने के लिए पिछले प्रदर्शन रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता है।
  2. नई लॉन्च की गई म्युचुअल फंड स्कीमों में शुरुआती खर्च होता है और मार्केटिंग का खर्च भी होता है, ये फंड रनिंग खर्च या मैनेजमेंट फीस के जरिए कवर होते हैं|जिस कारण निवेशकों के लिए प्रभावी रिटर्न कम हो जाता है।इसके विपरीत, मौजूदा फंड में, म्यूचुअल फंड चार्ज आम तौर पर कम होते हैं।
  3. एनएफओ में सीमित विविधता होती है| अधिकांश स्थितियों में NFO म्यूचुअल फंड सेक्टर विशिष्ट या श्रेणी विशिष्ट होते हैं|विविधता न होने से निवेशक का जोखिम बढ़ जाता है|

इस प्रकार देखें तो एनएफओ में निवेश से पूर्व पूरी तरह शोध करना जरूरी होता है| एनएफओ लाने वाली कंपनियों की वेबसाइट्स पर जाकर पोर्टफोलियो में शामिल करने के योग्य फंड की लॉन्च की तारीख, बंद होने की तारीख, न्यूनतम निवेश, कार्यकाल और मैच्योरिटी की तारीख का पता अवश्य लगाना चाहिए।कुछ सीमा तक एनएफओ आईपीओ की तरह है क्योंकि इसमें भी लिस्टिंग से पहले शेयर खरीदे जा सकते हैं।