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बजट 2020 से कृषि की उम्मीदें

बजट 2019-20 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को ऐतिहासिक आवंटन मिला है।

PM किसान योजना का आवंटन 20 हज़ार करोड़ से क्यों हुआ कम? जाने कारण!

साल 2019-20 के बजट में 75,000 करोड़ रूपए का आवंटन हुआ था, जो इस साल के बजट में घटाकर 54,370.15 करोड़ रूपए कर दिया गया

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ का आवंटन सीधा 20 हज़ार करोड़ रूपए से ज्यादा रकम से कम कर दिया गया| मगर इसके पीछे कारण केंद्र सरकार का किसानों के लिए चिंता का कम होना नहीं है, बल्कि कुछ राज्यों द्वारा अपने किसानों का पूरा विवरण केंद्र सरकार को नहीं प्रस्तुत करना है|

ज्ञात हो कि किसानों को आर्थिक मदद देने के मकसद से केंद्र सरकार ने अपने 2019-20 के बजट में ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ शुरू की थी| इस योजना के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक मदद की जाती है|

पिछले वर्ष किया गया था प्रारंभ 

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिये आबंटन घटाकर 54,370.15 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया है| पूर्व वर्ष के बजट में इसके लिये 75,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था| बजट में कमी का कारण कुछ राज्यों में योजना को लागू करने में समस्या है|

खर्च अनुमान अभी भी 75,000 करोड़ रूपए 

दिलचस्प यह है कि PM किसान योजना के लिये राशि में कटौती के बावजूद सरकार ने अगले वित्त वर्ष 2020-21 के लिये बजट अनुमान 75,000 करोड़ रुपए ही रखा है| इस योजना के तहत पात्र किसानों को 2000-2000 हज़ार की तीन समान किस्तों में कुल 6,000 रुपए सालाना दी जाती है| सरकार ने अबतक इस योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक किसानों को 43,000 करोड़ रुपए का आबंटन किया है|

चालू वित्त वर्ष के लिये संशोधित अनुमान में आबंटन को कम किया गया है| इसका कारण पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों द्वारा इस योजना को लागू नहीं करना है| वहीं कुछ राज्यों के पास किसानों के बारे में समुचित आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया है|

क़िस्त दर क़िस्त घटते गएं लाभार्थी  

ज्ञात हो कि कुछ महीने पहले कृषि मंत्रालय ने योजना के तहत कुल 8.80 करोड़ लाभार्थियों में से 8.35 करोड़ छोटे किसानों को पहली किस्त के रूप में दो-दो हजार रुपये की राशि दी थी| वहीं दूसरी किस्त में लाभार्थियों की संख्या घटकर 7.51 करोड़, तीसरे में 6.12 करोड़ और चौथी किस्त में केवल 3.01 करोड़ रह गई है| इस घटते आकड़ों को संज्ञान में लेते हुए मजबूरन सरकार को आवंटन को घटाकर 75,000 करोड़ से 54,370 करोड़ रूपए करना पड़ गया है|

सरकारों को रखना चाहिए किसानों का ध्यान 

ज्यादातर राज्यों ने किसानों के सत्यापित आंकड़े केंद्र सरकार के पास प्रस्तुत नहीं किए हैं उसके पीछे कारण राजनीतिक प्रतिद्वंदता है, मगर राज्य सरकारों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनकी प्रतिद्वंदता का नुकसान किसानो को हो रहा है, जोकि देश के अन्न दाता हैं| इसलिए उन्हें सभी बातों को पीछे रखकर तुरंत केंद्र सरकार के समक्ष सत्यापित आंकड़े प्रस्तुत करनी चाहिए, ताकि बचे हुए कीसानों तक धन लाभ पहुंच सके|

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। अति प्राचीन काल से ही कृषिकार्य किया जाता हैं। जब संसार के अधिकांश मानव असभ्य थे, उस समय भारतवासी कृषि में निपुण थे। इस बात का इतिहास साक्षी हैं। आर्य युग में जुता सिंचा, कटा, निदा, आदि कार्य
किया जाता था। कृषि के साथ पशुपालन व्यवसाय संलग्न हैं।  वर्तमान में देश की लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या अपनी जीविका के लिये प्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य पर निर्भर हैं। विश्व में चीन के बाद भारत ही वह दूसरा देश हैं, जहाँ इतनी बड़ी संख्या में लोग कृषिकार्य में संलग्न हैं।

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार हैं तथा देश की आय 50 प्रतिशत कृषि से ही होती हैं। देश के घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का लगभग 26 प्रतिशत योगदान हैं। देश के कुल निर्यातों में कृषि का योगदान 1999-2000 में 43 प्रतिशत था।  इसीलिये कृषि को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता हैं। भारत के 22 करोड़ पशुओं का भोजन भी कृषि जन्य पदार्थो से प्राप्त होता हैं। गैर कृषि क्षेत्र के लिये बड़ी मात्रा में उपभोक्ता वस्तुयें और अधिकांश बड़े उद्योग जैसे सूती वस्त्र, जूट उद्योग, चीनी उद्य़ोग , कागज उद्योग, वनस्पति उद्योग, घी उद्योग आदि को कच्चा माल कृषि से ही प्राप्त होता हैं। देश की एक अरब से भी अधिक जनसंख्या का भरण पोषण कृषि के विकास से ही संभव हैं।

2019 का बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2019 पेश करते हुए उन्होंने बाकी सेक्टर्स के साथ-साथ कृषि सेक्टर की भी बात की थी। सीतारमण ने बताया कि किसानों और ग्रामीण भारत के लिए सरकार ने अबतक क्या किया है और आगे उसकी क्या योजनाएं हैं। सीतारमण ने महात्मा गांधी की कही बात से शुरुआत की। उन्होंने कहा कि असल भारत गांव में बसता है और गांव और किसान उनकी हर योजना का केंद्र बिंदु होगा।

किसानों का जीवन और व्यवसाय आसान बनाने के लिए काम किए जाएंगे। सीतारमण ने कहा कि सरकार कृषि अवसरंचना में निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि आजादी की 75वीं सालगिरह तक किसान की आय दोगुनी करने की कोशिश।अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने पर होगा काम। किसानों के उत्पाद से जुड़े कामों में प्राइवेट आंत्रप्रेन्योरपिश को बढ़ावा दिया जाएगा।

सीतारमण ने कहा कि 2024 तक गांव के हर घर तक जल (पानी) पहुंचाया जाएगा। इसमें हर घर में टंकी से पानी पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह काम जल जीवन मिशन के तहत किया जाएगा। इसमें हर घर तक पीने का पानी पहुंचाने की कोशिश रहेगी।वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 2019-20 से 2021-22 तक पात्रता रखने वाले लाभार्थियों को 1.95 करोड़ मकान मुहैया कराये जाएंगे। इनमें रसोई गैस, बिजली और शौचालयों जैसी सुविधा होगी। सीतारमण ने बताया कि पहले आवासों को बनाने में जहां 314 दिन लग रहे थे, अब 114 दिन लगते हैं।

2019 बजट मे संसोधन

बजट 2019-20 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को ऐतिहासिक आवंटन मिला है। वित्त मंत्रालय ने इस मंत्रालय को 1,30,485 करोड़ रुपए का आवंटन किया था। यह कृषि मंत्रालय के लिए अब तक का सबसे अधिक आवंटन है। 2014-15 में जब एनडीए सरकार सत्ता में आई थी तो कृषि मंत्रालय को 31,063 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था।

2018-19 में कृषि मंत्रालय को 79,026 करोड़ रुपए का संशोधित बजट दिया गया था। जबकि इस साल का अनुमानित बजट 57,600 करोड़ रुपए था, जिसमें 140 फीसदी की वृद्धि की गई थी। लेकिन इस बार बजट में वृद्धि का बड़ा कारण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) है। इस बार के बजट में इस निधि में 75 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इस तरह कृषि मंत्रालय के बजट में 57 फीसदी हिस्सा किसानों को दिया जाने वाला सीधा नगद भुगतान का था।

चुनाव से पहले पेश किए गए अंतरिम बजट में एनडीए सरकार ने किसानों को नगद सहायता देने की घोषणा की थी। यह घोषणा एक जनवरी 2019 से लागू की गई और उस समय इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। पीएम किसान योजना के तहत किसान को 6000 रुपए सालाना देने का प्रावधान है, जो 2000 रुपए की तीन किस्तों में दिए जाएंगे। हालांकि कृषि मंत्रालय को इस ऐतिहासिक आवंटन के बावजूद अगर अंतरिम बजट से तुलना की जाए तो 10 हजार करोड़ रुपए कम हैं।