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केंद्रीय योजना बजट का सबसे ज़्यादा इस राज्य में हुआ उपयोग

चालू वित्त वर्ष 2019-20 में उत्तराखंड को कुल बजट 48663.89 करोड़ मिले थे।

हर राज्य को सालाना केंद्रीय योजना बजट दी जाती है परन्तु इसका उपयोग या कहें सदुपयोग करना राज्यों का कार्य होता है। इसमें उत्तराखंड सबसे आगे रहे। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में उत्तराखंड को कुल बजट 48663.89 करोड़ मिले थे। जिसे उत्तराखंड केंद्रपोषित योजनाओं के सदुपयोग में तेजी से ख़र्च कर रही है। 

यह एक बेहतरीन संकेत है कि राज्य के ढांचागत विकास में सबसे ज्यादा निवेश केंद्र की योजनाओं का ही है। वहीं जिलों में जिन छोटे विकास और निर्माण कार्यों का जिम्मा जिला योजना पर होता है, वहां बजट का कम इस्तेमाल होना सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला होता है। सरकारी महकमे में बजट खर्च को लेकर अब भी उहापोह की स्थिति बनी रहती है।

जिला सेक्टर के 612.82 करोड़ के बजट में से सबसे ज्यादा 605 करोड़ जारी तो किए गए हैं, लेकिन खर्च 305.12 करोड़ हो सका। यह स्वीकृत राशि का 50.43 फीसद है। राज्य सेक्टर के कुल 38532.60 करोड़ के बजट में से 70 फीसद से ज्यादा धन खर्च के लिए मंजूर हुआ।

उत्तराखंड बजट के मुख्य बिंदु

  • चालू वित्त वर्ष 2019-20 में उत्तराखंड को कुल बजट 48663.89 करोड़
  • कुल बजट यानि 48663.89 करोड़ में से सिर्फ 19533.14 करोड़ खर्च
  • केंद्रपोषित योजनाओं की बजट राशि 7988.21 करोड़
  • राज्य के ढांचागत विकास में सबसे ज्यादा निवेश केंद्र की योजनाओं का
  • जिला सेक्टर के 612.82 करोड़ के बजट में 305.12 करोड़ खर्च हो सका।

यही कारण है कि पिछले कई सालों से राज्य के हालात में उम्मीदों के मुताबिक सुधार नहीं हो पाया है। लेकिन अब बजट खर्च के सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 में कुल बजट यानि 48663.89 करोड़ में से सिर्फ 19533.14 करोड़ खर्च हुआ है। शेष चार महीनों में कुल बजट का 29130.75 करोड़ खर्च किया जाना है। कुल बजट का सिर्फ 66.14 फीसद उक्त अवधि में मंजूर किया गया, जबकि इसमें से सिर्फ 60.14 फीसद खर्च हो सका। 

विदित हो कि केंद्रपोषित योजनाओं की बजट राशि 7988.21 करोड़ में से 2446.80 करोड़ खर्च किया जा चुका है। खर्च के लिए 3786.48 करोड़ बजट राशि जारी की गई है। कुल बजट की तुलना में स्वीकृति ज्यादा नहीं है, लेकिन खर्च की स्थिति बेहतर हुई है। बाह्य सहायतित योजना की कुल 1530.26 करोड़ बजट राशि में से 234.79 करोड़ खर्च हो चुका है। इस मद में बजट स्वीकृति 499.01 करोड़ और खर्च दोनों ही कम है। खर्च 16546.43 करोड़ यानी 60.62 फीसद हो पाया। वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि बजट खर्च की रफ्तार बीते वर्षों की तुलना में सुधरा है। इसमें और सुधार के लिए सभी महकमों को निर्देश दिए जा रहे हैं।