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चेक बाउंस के 5 नए नियम

चेक बाउंस होने की स्थिति में आगे के 90 दिनों तक पुनः चेक जमा करने का विकल्प होता है

चेक (CHEQUE) बैंकिंग लेनदेन का एक ऐसा माध्यम है, जिसपर ज्यादातर लोगों और संस्थाओं द्वारा विश्वास किया जाता है| एक चेक में अंकित राशि का नियत तिथि में भुगतान का वादा होता है| मगर जब यही चेक को तय दिवस के भीतर चेक प्राप्तकर्ता बैंक में जमा करता है और पर्याप्त धन की अनुपलब्धता की वजह से चेक पर अंकित धनराशि चेक जमा करने वाले को प्राप्त नहीं होती है तो बैंक उस चेक को dishonor कर देता है| इसी क्रिया को सामान्य भाषा में चेक बाउंस करना बोलते हैं|

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बैंक प्रदान करती है एक स्लिप 

प्राथमिक तौर पर यह क्रिया बैंक द्वारा मैनुअली होती है| मगर आप अगर चेक बाउंस होने का सबूत चाहते हैं तो बैंक आपको चेक के बाउंस होने के कारण बताते हुए एक स्लिप प्रदान करेगी| इसका इतेमाल आप चेक जारी करने वाली पार्टी के खिलाफ अदालती कार्रवाई में कर सकते हैं|

विश्वसनीयता बढाने का है प्रयास 

चेक की विश्वसनीयता को बढाने के उद्देश्य से पूर्व में संसद ने ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) अधिनियम 2018’ (Negotiable Instruments Act) के द्वारा चेक बाउंस के नियमों को सख्त किया| उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी चेक बाउंस के नियमों पर शिकायतकर्ताओं को और राहत देते हुए इसपर मोहर लगाई|

5 नए नियम चेक बाउंस के लिए

  1. चेक बाउंस होने की स्थिति में आगे के 90 दिनों तक पुनः चेक जमा करने का विकल्प होता है| ऐसा आप तभी करें अगर आपको जारीकर्ता पर विश्वास हो| अन्यथा तत्काल ही कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया जा सकता है|
  2. कोई चेक बाउंस होता है और चेक प्राप्तकर्ता अदालत का दरवाज़ा खटखटाता है तो Negotiable Instruments Act 143A में किए गए नए बदलावों के तहत चेक जारीकर्ता को चेक प्राप्तकर्ता को अंतरिम राहत के तौर पर चेक राशि का 20% तक का भुगतान करना होगा| इसके लिए 60 दिनों की समयसीमा निर्धारित की गई है|
  3. अदालती कार्रवाई के दौरान अगर कोर्ट शिकायतकर्ता की शिकायत को सही मानता है तो कोर्ट आरोपी पर 20% से लेकर 100% तक दंड लगा सकती है और यह चेक के राशि के अतिरिक्त होगी|
  4. अगर आरोपी पर आपराधिक उद्देश्य साबित होता है तो कोर्ट 2 साल तक के लिए जेल भी भेज सकती है|
  5. शिकायतकर्ता की शिकायत झूठी पाए जाने पर कोर्ट शिकायतकर्ता से मुआवजे की राशि को व्याज सहित वसूली कर सकती है|

ज्ञात हो कि भारत में साल दर साल चेक बाउंस के मामले बढ़ते ही जा रहे है| उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट और सरकार के सख्त नियमों से इस आंकड़े में कमी आएगी|