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जानीये क्यों लाभदायक है म्युचुअल फंड में लंबी निवेश अवधि?

निवेश के जानकार अक्सर ही लंबी निवेश अवधि को लाभदायक बताते हैं

म्युचुअल फंड में निवेश के जानकार अक्सर ही लंबी निवेश अवधि को लाभदायक बताते हैं|विभिन्न निवेश से जुड़ी परिभाषाओं में भी लम्बे निवेश को महत्वपूर्ण बताया जाता है| ये सब पढकर निवेशक प्रायः ये सोचने पर विवश हो जाता है कि क्यों जरूरी है लंबा निवेश? बता दें लंबी अवधि के निवेश का बहुत ज्यादा महत्त्व होता है|निवेश और निकासी के समय की बजाय निवेश अवधि हमेशा ही अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है| निवेश अवधि से म्युचुअल फंड्स का रिटर्न किस प्रकार प्रभावित होता है? आइये जानते निवेश से होने वाले रिटर्न में निवेश अवधि का महत्त्व|

म्यूच्यूअल फण्ड के फायदे (Mutual Funds Benefits in Hindi)

बड़े वित्तीय लक्ष्य:

निवेशक अपना निवेश म्युचुअल फंड में प्रायः विभिन्न लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से करते हैं|ये उद्देश्य प्रायः बड़े होते हैं|इन्हें प्राप्त करने के लिए बड़े वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है|इस लक्ष्यों में घर या कार खरीदना,शिक्षा या शादी विवाह कुछ भी हो सकता है|अक्सर ये लक्ष्य बड़े होते हैं तो इन्हें तुरंत प्राप्त करना मुश्किल होता है|अतः इन्हें एसआईपी के माध्यम से छोटे छोटे निवेश से प्राप्त कर सकते हैं| लंबे समय में हम देखते हैं कि ये छोटी निवेश राशि एक बड़ी धनराशी बन जाती है|

कंपाउंडिंग का प्रभाव:

म्युचुअल फंड में कंपाउंडिंग के प्रभाव का विशेष महत्त्व होता है| इसी कारण म्युचुअल फंड में निवेश  अतिरिक्त रिटर्न प्राप्त होता है| चक्रवृद्धि ब्याज निवेश के सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक है|सरल शब्दों में कहें तो कम्पाऊंडीग का अर्थ है ब्याज पर ब्याज अर्जित करना। चक्रवृद्धि ब्याज की गणना मूलधन और संचित ब्याज के योग पर की जाती है।उदाहरण के तौर पर समझें कि यदि निवेशित राशि 10 लाख थी, तो यह संख्या चक्रवृद्धि ब्याज के प्रभाव से कई बार विकास के क्रम में परिवर्तित होती  जाती है। 20 वर्षों की निवेश अवधि में सामान्य ब्याज दरों पर भी निवेशित राशि  67 लाख से अधिक (10% विकास दर पर) हो जाती है।

बाजार की वृद्धि:

मंदी एवं राजनीतिक कारणों से कई बार बाजार बुरी तरह से प्रभावित होता है|ऐसे समय मेंम्युचुअल फंड के  रिटर्न प्रायः न्यूनतम स्तर पर आ जाते हैं|ये समय रिटर्न की दृष्टि से  बुरा अवश्य होता है |किन्तु निवेश के लिए ये सही समय होता है |लम्बे निवेश की अवधि में यही कीमत का निवेश बाजार वृद्धि कि दशा में बड़ी पूँजी बन जाता है|

निकासी का सही समय:

लम्बे निवेश के दौरान निवेशक बाजार के उतार चढाव को करीब से देख पाता है|अपने अनुभव एवं अपनी प्राथमिकता के आधार पर निवेशक को निकासी के लिए सही एवं पर्याप्त समय मिल जाता है|बता दें कि अधिकतर म्युचुअल फंड ओपन एंडेड होते हैं|जिनमे निवेश एवं निकासी कभी भी की जा सकती है|