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दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता सरकार की प्राथमिकता

दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश है भारत

किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं|इस दिशा में अगला कदम उठाते हुए केंद्र सरकार अब दलहनों की पैदावार बढ़ाने और इससे किसानों की आमदनी में इजाफा करने के उपायों पर जोर दे रही है। दाल की खपत के मामले में आत्मनिर्भरता बढाने के लिए मोदी सरकार ने दाल उत्पादन को राष्ट्रीय प्राथमिकता की श्रेणी में रखा है| इसी सिलसिले में विश्व दलहन दिवस पर सोमवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दालों पर तीन दिवसीय एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन शुरू होने जा रहा है| इस सम्मेलन में दुनिया भर दलहन विशेषज्ञ शामिल होंगे|

भारत करता है दाल का आयात:

काबिलेगौर है कि दुनिया में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत को अपनी जरूरतों के लिए दाल का आयात करना पड़ता है। लिहाजा, इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। दाल के मामले में आत्मनिर्भर बनने और को राष्ट्रीय प्राथमिकता के तौर पर देख रही केंद्र सरकार लगातार सरकार के इन प्रयासों से फसल वर्ष 2017-18 में देश में दलहनों का उत्पादन 254.2 लाख टन हो गया था|जिससे देश दलहनों की खपत के मामले में आत्मनिर्भर बन गया क्योंकि एक अनुमान के तौर पर देश की सालाना खपत तकरीबन 240 लाख टन आंकी जाती है। हालांकि 2018-19 में दलहनों का उत्पादन घटकर 234 लाख टन रह गया। चालू फसल वर्ष 2019-20 में सरकार ने 263 लाख टन दलहन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है|

‘पल्सेस क्लाईमेट स्मार्ट क्रॉप्स : चैलेंज एंड ऑपरच्युनिटी’

जलवायु परिवर्तन के मौजूदा दौर में भारत में दलहनों की खेती बढ़ाने की संभावनाओं और इसकी चुनौतियों अब भारत सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है| ये देखते हुए विश्व दलहन दिवस पर सोमवार से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दालों पर तीन दिवसीय एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन शुरू होने जा रहा है| इस सम्मेलन में दुनिया भर से दलहन फसल विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।इस सम्मेलन में कृषि वैज्ञानिक दाल उत्पादन की समस्या और समाधान पर  मंथन करेंगे। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के शामिल होने की भी संभावना।

किसानों के लिए लाभकारी है दलहन:

भारी बारिश के कारण इस साल खरीफ सीजन में मूंग और उड़द की फसल कमजोर रहने की उम्मीद की जा रही है अतः इस वर्ष दाल उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करना मुश्किल हो गया है|कानपुर स्थित भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. एन. पी. सिंह ने आईएएनएस को बताया कि,दलहनों के उत्पादन बढ़ाने की भारत में काफी संभावना है क्योंकि इस क्षेत्र में ऐसे बीज तैयार किए गए हैं जिनके इस्तेमाल से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।उन्होंने बताया कि दलहनों को क्लामेट स्मार्ट क्रॉप माना जाता है।लिहाजा, इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी है। डॉ. सिंह को भी इस सम्मेलन में प्रमुख रूप से आमंत्रित किया गया है|