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निवेशकों को आकर्षित करेगा उधमपुर का नया औद्योगिक केंद्र

केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने उधमपुर जिले में एक नया औद्योगिक क्षेत्र बनाये जाने की घोषणा की।

निवेशकों को आकर्षित करने के लिये उधमपुर में एक नया औद्योगिक क्षेत्र बनाया जायेगा। रविवार को जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने एक नया औद्योगिक क्षेत्र बनाये जाने की घोषणा की है। जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में एक कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने शिरकत की जहाँ उन्होंने यह घोषणा की। कार्यक्रम का उद्देश्य केन्द्र सरकार की योजनाओं से जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले के लोगों को अवगत कराना था। कार्यक्रम के दौरान श्री सिंह ने जिले में एक नया बस अड्डा बनाये जाने की भी घोषणा की।

रोजगार के अवसर सृजित होंगे

समाचार एजेंसी से प्राप्त ख़बरों के अनुसार केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय में कहा, ‘‘उधमपुर जिले में एक नये औद्योगिक क्षेत्र के लिये करीब एक हजार एकड़ जमीन की पहचान कर ली गई है।’’  उधमपुर को एक औद्योगिक केन्द्र के तौर पर विकसित करने का मकसद इससे निवेशकों को आकर्षित करना है। उन्होंने कहा इससे स्थानीय युवाओं के लिये रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

अंतिम निर्णय की प्रक्रिया जारी

जितेन्द्र सिंह ने सरकार के उचित क़दमों की प्रशंसा करते हुए कहा कि केंद्र ने यह फैसला उचित समय पर किया है क्योंकि आगामी अप्रैल माह में जम्मू और श्रीनगर में एक वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि उधमपुर में नया बस अड्डा बनाये जाने की बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित मांग को स्वीकार कर लिया गया है और अब इसके लिये जमीन को लेकर अंतिम निर्णय लेने की प्रक्रिया चल रही है।

योजनाओं का लाभ सबको पहुंचे

जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ पंक्ति में आखिर में खड़े व्यक्ति तक पहुंचना चाहिये। इस अवसर पर उन्होंने निचले स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया। जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास के लिये प्रतिबद्ध है।’ कार्यक्रम के दौरान जितेन्द्र सिंह ने देविका नदी पुनरुत्थान एवं सौंदर्यीकरण परियोजना का भी मुआइना किया। विदित हो कि देविका नदी पुनरुत्थान एवं सौंदर्यीकरण परियोजना 190 करोड़ रुपये की परियोजना है जिसे 2017 में मंजूरी दी गई थी। लेकिन उपराज्यपाल के कार्यभार संभालने के बाद ही इस पर अमल शुरू हो पाया है।