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निवेशक ध्यान दें सीमित ट्रेडिंग श्रेणी में हैं ये शेयर

निवेशकों की वित्तीय सुरक्षा के लिए किया गया निर्णय

बाजार नियंत्रक सेबी समय समय पर निवेशकों के हितों का ध्यान रखते हुए जरूरी कदम उठाती है|ऐसे ही एक निर्णय में प्रमुख शेयर बाजार बीएसई और एनएसई 30 जनवरी से कई शेयरों को सीमित ट्रेडिंग श्रेणी में डाल रहे हैं।ये कदम निवेशकों की वित्तीय सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया है|बता दें  बीएसई 30 शेयरों को ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेगमेंट में डाल रहा है जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) भी 13 शेयरों को अपने प्लेटफॉर्म पर ट्रेड फॉर ट्रेड सेगमेंट में डाल रहा है।

ये प्रमुख कंपनियाँ हैं शामिल:

निवेशकों की वित्तीय सुरक्षा के लिए बीएसई 30 शेयरों को ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेगमेंट में डाल रहा है।जिनमें मैकडोवेल होल्डिंग्स, इमामी रियल्टी, हिंदुस्तान एवरेस्ट टूल्स, टेक्नोफैब इंजीनियरिंग और लैक्टोज इंडिया जैसे शेयर शामिल हैं। इस कार्रवाई के बाद शेयर बाजारों ने कहा कि सिर्फ निगरानी के उद्देश्य से शेयरों को ट्रेड फॉर ट्रेड सेगमेंट में डाला जा रहा है। इसे किसी भी कंपनी के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं समझा जाना चाहिए। अब इन शेयरों में अधिकतम 5 फीसदी का सर्किट फिल्टर होगा। अलग से जारी नोटिस में दोनों शेयर बाजारों ने निवेशकों को इन शेयरों में ट्रेडिंग करते वक्त सावधानी बरतने की सलाह दी, क्योंकि इनमें जिस दिन ट्रेड होगा, उसी दिन सेटलमेंट करना होगा और पोजिशन को क्वायर ऑफ नहीं किया जा सकेगा।

क्या होता है ट्रेड फॉर ट्रेड सेगमेंट?

ट्रेड फॉर ट्रेड सेगमेंट में शेयर अनिवार्य डिलीवरी के आधार पर खरीदे जा सकते हैं| इसमें सटोरिया कारोबार की तरह एफएंडओ ट्रेडिंग नहीं होती है। दरअसल ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) में खरीदे गए शेयरों की डिलीवरी निश्चित तौर पर होगी और इसकी कीमत का अनिवार्य तौर पर भुगतान करना होता है।निवेशकों को इस सेगमेंट के हर एक खरीदे/बेचे गए शेयर की पूरा पेमेंट देकर डिलीवरी लेनी पड़ती है| ट्रेड-टू-ट्रेड में डालने का निर्णय सेबी के साथ विचार-विमर्श के बाद स्टॉक एक्सचेंज लेता है| शेयर आवश्यक समीक्षा के बाद ट्रेड-टू-ट्रेड से बाहर भी निकाले जा सकते हैं|जिसके बाद  एक्सचेंज और सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार इसमें सामान्य तरह से ट्रेडिंग शुरू हो सकती है|