Arthgyani
होम > न्यूज > बजट-2020: पशुपालक किसान की आय करमुक्त हो

बजट-2020: पशुपालक किसान की आय करमुक्त हो

सरकार घी को लक्जरी प्रोड्क्ट मानती है

भारत सरकार क्रॉप लोन देती है चार फीसदी पर|जबकि भूमिहीन को दस फीसदी की पर पशु खरीदने के लिए लोन मिलता है। इससे लगता है कि कृषि की प्राथमिकता के क्षेत्र में डेयरी को शामिल नहीं किया गया है।हैरानी की बात यह है कि अगर किसी किसान के पास बीस या तीस एकड़ जमीन है तो उसकी कृषि की आय पर कोई टैक्स नहीं है, लेकिन अगर किसी किसान के पास बीस गाय या भैंसें हैं और एक भी एकड़ जमीन नहीं है फिर भी किसान इनकम टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।पशुपालक किसान की आय को भी कर से मुक्त करना चाहिए|ये कहना है अमूल दूध के एमडी आरएस सोढ़ी का|वे बजट-2020 में दुग्ध उत्पादन समूह की अपेक्षाओं के विषय पर मनी भाष्कर के प्रश्नों का जवाब दे रहे थे|

पशुपालकों को बजट का हिस्सा नहीं मानती सरकार:

भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्र है| इसके बावजूद पशुपालकों को बजट में समुचित स्थान न मिलने के विषय पर सोढ़ी ने उपयुक्त तर्क दिए| उन्होंने कहा कि,देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 17 फीसदी है और कृषि की जीडीपी में पशुपालन की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। इसके मुकाबले देखा जाए तो सरकार को जो कृषि का बजट है तकरीबन 1.75 लाख करोड़ रुपए का उसमें पशुपालन की हिस्सेदारी सिर्फ तीन हजार करोड़ रुपए है। जिस गरीब किसान के पास खेत नहीं है उसको सरकार एक तरीके से बजट का हिस्सा मानती ही नहीं है। सारा बजट उन बड़े जमींदारों के लिए है जिनके पास जमीनें हैं। उन्हें तकरीबन हर चीज में सब्सिडी मिल जाती है। पशुपालकों को कोई सब्सिडी नहीं मिल पाती है। ऐसे में सरकार के बजट का कम से कम एक फीसदी तो पशुपालकों के लिए होना चाहिए।

दुग्ध उत्पादों पर GST दरों के लिए सुझाव:

GST का प्रभाव दुग्ध उत्पादों पर स्पष्ट करते सोढ़ी ने कहा कि,सरकार घी को लक्जरी प्रोड्क्ट मानती है|इसी कारण घी पर  12 फीसदी टैक्स लगता है। जबकि मेलशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया से आने वाले रिफाइंड ऑयल पर सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगता है। किसान को जीएसटी के चलते दूध के तीन से चार रुपए कम मिलते हैं। अगर सरकार जीएसटी कम कर देंगे तो किसान को दूध के तीन-चार रुपए ज्यादा मिल जाएंगे या कस्टमर्स को चार रुपए तक दूध सस्ता मिल सकेगा।