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बजट 2020 से बैंकिंग को प्रोत्साहन मिलने की संभावना नहीं

Npa वसूली पर होगा जोर

आगामी एक फरवरी को संभावित आम बजट 2020 पर सभी कि निगाहें लगी हुई हैं|वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण का दूसरा बजट कई मामलों में काफी अलग होने की संभावना है|विदित हो कि उन्होंने आगामी बजट के लिए हर सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ पूर्व परामर्श बैठक भी की है|इस बैठक में हर वर्ग के सुझाव को आमंत्रित किया गया था  इस आधार पर देखें तो प्रायः हर सेक्टर को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं|

बैंकों में पूँजी डालने की संभावना नहीं:

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स की अगर मानें तो बजट 2020 में बैंकों के लिए कुछ विशेष होने का अनुमान नही है|मोदी सरकार आगामी बजट में बैंकों के लिए विशेष प्रावधान इसलिए भी नहीं लाएगी क्योंकि  बैंकों का शेयर मूल्य मजबूत हो रहा है| इस प्रकार देखें तो बैंकों के पास सरकारी हिस्सेदारी बेचने का विकल्प भी उपलब्ध है।विदित हो देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी अनुषंगियों एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लि. और यूटीआई म्यूचुअल फंड में अपनी हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रकार अन्य सरकारी बैंक भी इसी तरह की प्रक्रिया के जरिए पूंजी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।

NPA वसूली पर होगा जोर:

आम बजट 2020 में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में और पूंजी डालने की बजाय बैंकों को डूबे कर्ज की वसूली तेज करने और बाजार से कोष जुटाने को प्रोत्साहित करेगी।आगामी बजट 2020-21 में बैंक अपने गैर प्रमुख कारोबार की बिक्री कर भी धन जुटा सकते हैं।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो,साल 2020 में बैंक  राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और गैर एनसीएलटी दोनों तरह से निपटान के जरिए डूबा कर्ज वसूल कर सकते हैं। इसके अलावा उनके पास बाजार से भी पूंजी जुटाने की गुंजाइश रहेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रावधान कवरेज अनुपात इस समय सात साल के उच्चस्तर 76.6 फीसदी पर है।इस वर्ष कुछ गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मामले में बैंकों ने 100 फीसदी तक वसूली का प्रावधान किया है।