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बजट 2020 – शिक्षा क्षेत्र की अपेक्षाएं

शिक्षित नागरिक किसी भी देश के निरंतर विकास के आधारस्तंभ होते हैं|

क्या शिक्षा बजट के लिए पर्याप्त होंगे 99,300 करोड़ रूपए?

बजट 2020-21 में भी नहीं हो पाई ‘नई शिक्षा नीति’ की औपचारिक घोषणा और न ही मिला कोई आवंटन

इस बार के बजट 2020 में उच्च शिक्षा के लिए आवंटन में पिछले वर्ष की तुलना में 1100 करोड़ रूपए से अधिक का इजाफा हुआ है| केंद्रीय बजट में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों यानी IIT के लिए इस बार कुल आवंटन 7,332 करोड़ रुपए रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.38 प्रतिशत अधिक है|

ज्ञात हो कि इस बार के केंद्रीय बजट में शिक्षा के लिए 99,300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है| इनमें से उच्चतर शिक्षा का कुल आवंटन 39466.52 करोड़ रुपए है| विगत वर्ष के 38317.01 करोड़ रुपए की तुलना में इस वर्ष 1149.51 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है|

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि केंद्रीय बजट में इस बार केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए कुल आवंटन 8657.90 करोड़ रुपए रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.39% अधिक है| वहीं राष्ट्रीय तकनीकी संस्थानों (NIT) के लिए कुल आवंटन 3885 करोड़ रुपए रखा गया है, जो पिछले साल की तुलना में 2.58 प्रतिशत अधिक है|

इस बार के शिक्षा बजट से बहुत आशाएं और उम्मीदें थी, मगर क्या वह पूरी हो पाई| आइए करते हैं 11 पॉइंट में पूरी पड़ताल:

  1. इस बार के बजट में उच्च शिक्षा से जुड़े नियामकों UGC और AICTE के लिए कुल आवंटन 5109.20 करोड़ रुपए रखा गया है|
  2.  उच्च शिक्षा के गुणवत्ता उन्नयन और समावेशन कार्यक्रम नामक एक नई योजना की परिकल्पना की गई है|  इस योजना के लिए 1413 करोड़ रुपए का प्रारंभिक बजटीय प्रावधान किया गया है|
  3. 2200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सरकारी इक्विटी के माध्यम से मूलभूत अवसंरचनाओं जैसे कक्षाओं, हॉस्टल, प्रयोगशालाओं और उपकरणों के सुधार और विस्तार के लिए उनकी बजटीय जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी|
  4. विश्व बैंक से सहायता प्राप्त तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के लिए 650 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है| इस परियोजना का उद्देश्य चयनित इंजीनियरिंग संस्थानों में गुणवत्ता और समानता को बढ़ाना और फोकस राज्यों में इंजीनियरिंग शिक्षा प्रणाली की दक्षता में सुधार करना है|
  5. इस बजट में ‘ब्याज सब्सिडी और प्रतिभूति निधि में योगदान’ के लिए आवंटन 1900 करोड़ रुपए रखा गया है|  यह उच्च व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा करने वाले छात्रों को आसान और ब्याज मुक्त ऋण संवितरित करने के लिए है|
  6. वहीं स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के बजट आवंटन में 3308.37 करोड़ रुपए की कुल वृद्धि हुई है| स्कूली शिक्षा के उन्नयन हेतु फ्लैगशिप योजना की समग्र शिक्षा में बजट आवंटन (2428.50 करोड़ रुपए) की वृद्धि हुई है|
  7. प्रतिभाशाली बच्चों को उनके कौशल के लिए प्रोत्साहित और ज्ञान को समृद्ध करने और प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना ‘प्रधानमंत्री नवीन शिक्षण कार्यक्रम (ध्रुव-DHRUV) वित्त वर्ष 2020-21 से परिकल्पित की गई है|
  8.  KVS आवंटन में 504.50 करोड़ रूपए की वृद्धि हुई है|
  9. वहीं NVS आवंटन में 232 करोड़ की वृद्धि हुई है|
  10. इस वर्ष समाज के वंचित वर्गो के छात्रों के साथ-साथ उच्चतर शिक्षातक पहुंच में अक्षम छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से डिग्री स्तर का सुव्यवस्थित ऑनलाइन शिक्षाकार्यक्रम शुरू किया जाएगा| हालांकि, ऐसे पाठ्यक्रम केवल उन्हीं संस्थानों में उपलब्ध होंगे, जो राष्ट्रीय संस्था रैंकिंग कार्यक्रम में शीर्ष 100 रैंकों में शामिल हैं|
  11. हालांकि इस बार के बजट से जिस बात की सबसे ज्यादा उम्मीदें थी, वह है ‘ नई शिक्षा नीति’, इसके बारे में इस बार भी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हो पाई|

 

शिक्षा किसी भी देश का भविष्य होता है| शिक्षित देश ही भविष्य की तरक्की का आधार होता है| क्योंकि अगर वर्तमान में जो शिक्षित होगा, वही भविष्य में तरक्की करेगा| इसी भविष्य को ध्यान में रख कर सरकारें हर साल के बजट में शिक्षा के लिए एक निश्चित धनराशि का प्रावधान करती हैं, जो हर साल सरकारों की प्राथमिकता के आधार पर घटती-बढती रहती है|
वैसे इस बजट में भी ऐसी संभावना है कि शिक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने वाली कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं| वैसे भी नई शिक्षा नीति के माध्यम से इसे मजबूती देने का पूरा मसौदा तैयार है| वैसे तो अभी इसकी आधिकारिक घोषणा शेष है, पर इसके अमल को लेकर सरकार को एक बड़ी पूंजी की जरूरत होगी| ऐसे में सरकार इसके लिए एक पैकेज की घोषणा इस बार कर सकती है| मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी इसे लेकर वित्त मंत्रालय को अपनी राय दी है|

क्या सरकार शिक्षा उपकर पर निर्भर है?

भारत सरकार ने 2004 में 2 फीसदी शिक्षा उपकर लागू किया था, जिसका इस्तेमाल आरंभ में सार्वजनिक स्कूलों में सार्वभौमिक मध्याह्न भोजन के वित्तपोषण के लिए किया गया था| 2007-08 में सरकार ने 1 फीसदी सेकंडरी और हाइयर एजुकेशन उपकर पेश किया था| 2018-19 में शिक्षा उपकर के साथ-साथ सेकंडरी और हाइयर एजुकेशन उपकर को 4 फीसदी के लिए एक स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर में बदल दिया गया था| 2018-19 में सरकार ने कुल आयात शुल्क पर 10 फीसदी का नया सामाजिक कल्याण अधिभार पेश किया था|

जानकारी के लिए बता दें कि उपकर एक उद्देश्य के लिए एक समर्पित निधि है, और इस मामले में शिक्षा उपकर से सरकार के शिक्षा व्यय को कम होने की उम्मीद है| समर्पित निधि को गैर-व्यपारी निधि प्रारंभिक शिक्षा कोष और माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा कोष में स्थानांतरित किया जाता है| ज्ञात हो कि प्राथमिक शिक्षा निधि की जानकारी सार्वजनिक खातों में उपलब्ध है, लेकिन मध्यम और उच्च शिक्षा निधि की कोई जानकारी नहीं है|

विदित हो कि उपकर सरकार के लिए राजस्व का एक स्थायी स्रोत नहीं है| इसका प्रारंभ केवल कर राजस्व/बजटीय सहायता से प्राप्त व्यय की सहायता के लिए किया गया था मगर अब उपकर एक समर्पित बजट के माध्यम से धन प्रदान करने के बजाय शिक्षा व्यय का एक नियमित तरीका बन गया है|

नई शिक्षा नीति में 2030 तक कुल बजट 2020 का 10% से 20% शिक्षा पर खर्च का लक्ष्य

पिछले वर्षो में सरकार का जोर शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर दिखा था| ऐसे में माना जा रहा है कि बजट में अब शिक्षा को लेकर जो भी प्रावधान होगा, वह नई शिक्षा नीति को केंद्रित करते हुए ही होना चाहिए| स्कूली शिक्षा की तर्ज पर इस बार उच्च शिक्षा के बिखरे ढांचे को भी समेटने की कोशिश हो सकती है| इसमें विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थान, प्रबंधन संस्थान और टीचर एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में बंटी पूरी उच्च शिक्षा को एक दायरे में लाया जा सकता है| दो साल पहले प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक जैसे स्कूली शिक्षा को एक साथ जोड़कर समग्र शिक्षा के दायरे में लाया गया था|

सूत्रों की अगर माने तो प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के अमल का फिलहाल जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसके तहत एक साथ लॉन्चिंग की जगह इसे अगले पांच वर्षो में उसे पूरी तरह से लागू करने की सिफारिश की गई है| अगर सरकार इस प्रस्ताव को इस बजट 2020 में अमल में लाती है तो इस बदलाव के लिए सरकार को भारी भरकम बजट की भी जरूरत होगी| ज्ञात हो कि मई 2019 को जारी सरकार की नई शिक्षा नीति के मसौदे में 2030 तक, कुल सरकारी खर्च के 10 फीसदी से 20 फीसदी तक शिक्षा पर खर्च बढ़ाने का सुझाव दिया गया है| मौजूदा समय में शिक्षा का जो बजट है, उनमें प्रस्तावित नई शिक्षा नीति की सिफारिशों को लागू करना संभव नहीं दिखाई देता| ज्ञात हो कि 2019-20 के बजट में कुल बजट का मात्र 3.14 प्रतिशत आवंटन शिक्षा के लिए किया गया था, जोकि 10 या 20 प्रतिशत तक पहुंचने से मीलों दूर है|

इसी सन्दर्भ में बात करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने शिक्षा बजट को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि सरकार इस बार शिक्षा बजट में 3 हजार करोड़ रुपए की फंडिंग कम करने वाली है| उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार पहले से ही इसके लिए बेहद कम फंड मुहैया कराती है|

शिक्षा पर देश के सरकारी बजट के 20 फीसदी खर्च करने के लक्ष्य से मेल खाने के लिए, राज्यों को भी अपना खर्च बढ़ाना होगा| वर्तमान में शिक्षा खर्च का बड़ा हिस्सा (लगभग 75-80 फीसदी) राज्यों से आता है| शिक्षा पर बजट बढ़ने के बजाए कई राज्यों में शिक्षा पर खर्च किए गए अनुपात में कमी भी आई है| यह बहुत दुखद है|

पिछले साल के बजट में शिक्षा का हाल

विदित हो कि केंद्र ने 2019-20 के बजट में शिक्षा क्षेत्र के लिए 94,853.64 करोड़ रुपए दिए थे जो वित्त वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमान से 13 प्रतिशत अधिक थे| हालांकि, उच्च शिक्षा के लिए अलग से 38,317.01 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जबकि स्कूली शिक्षा के लिए 56,536.63 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे| ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को 2018-19 में दिए बजट के मुकाबले 2019-20 के बजट में कम राशि आवंटित की गई थी| UGC को कुल 4,600.66 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जबकि इससे पूर्व वाले वर्ष में यह 4,687.23 करोड़ रुपए था|

पिछले बजट में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के लिए 6,409.95 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, वहीं भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) के लिए मात्र 445.53 करोड़ रुपए का बजट आवंटित था| भारतीय विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER) के लिए 899.22 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे| केंद्र ने विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने के लिए 400 करोड़ रुपए भी आवंटित किए थे और देश में विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम की घोषणा की थी| इन्ही धन आवंटनों के साथ सरकार ने घोषणा की थी कि सरकार भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक बनाने के लिए नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी|

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस बार के बजट में सरकार शिक्षा के लिए क्या नए प्रस्ताव लेकर आती है|