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IRDAI प्रमुख ने शिकारी मूल्य पर बीमा उद्योग को दी कार्रवाई की चेतावनी

IRDAI प्रमुख सुभाष खुंटिया ने 16वें सालाना बीमा ब्रोकर समिट को संबोधित करते हुए कही यह बात|

बीमा नियामक The Insurance Regulatory and Development Authority of India (IRDAI) के चीफ़ सुभाष खुंटिया ने बीमा उद्योग को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें प्रतिस्पर्धा के चक्कर में पड़कर अपने टैरिफ को इतना कम नहीं कर लेना चाहिए कि वे प्रतिस्पर्धा के योग्य ही न रहे|

सुभाष खुंटिया ने लागत से कम टैरिफ के कारण टेलीकॉम और एविएशन सेक्टरों के उदाहरण का हवाला देते हुए शुक्रवार को कहा कि स्वास्थ्य बीमा उद्योग को शिकारी मूल्य निर्धारण में लिप्त नहीं होना चाहिए, नहीं तो ये उद्योग और पालिसी धारकों दोनों को नुकसान पहुंचाएगा और व्यवसायों को वैवहारिक पक्ष में भी मुसीबत आएगी|उन्होंने कहा कि यदि बीमा कंपनियों ने अपने तरीके से सुधार नहीं किया तो कार्रवाई के लिए भी तैयार रहें|

दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई 

सुभाष खुंटिया ने 16वें सालाना बीमा ब्रोकर समिट को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘बेशक बीमा कंपनियों को प्रतिस्पर्धी मूल्य और शिकारी मूल्य में अंतर करना होगा| नियामक की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उद्योग निरंतर चलता रहे|’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘शिकारी मूल्य निर्धारण की जांच करने के लिए कार्रवाई की टोकरी एक तरह की नहीं होगी, लेकिन हम यह सुनिश्चित करते हैं कि बीमा उद्योग का स्वास्थ्य न बिगड़े| अगर हमें लगेगा कि बीमा एजेंसीयां, बीमा संख्या बढ़ाने के लिए शिकारी मूल्य निर्धारण में संलग्न हैं तो उनके ऊपर कारवाई होगी|’

इससे पहले, उन्होंने कहा कि, ‘समूह स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में व्यापार के उच्च स्तर हैं, लेकिन नुकसान भी बहुत अधिक है| मैं यहां सावधानी के एक शब्द देना चाहूंगा, हालांकि समूह स्वास्थ्य बीमा में आपका हिस्सा बहुत अधिक है, समूह स्वास्थ्य बीमा में नुकसान का अनुपात भी बहुत अधिक है और शायद यह वर्तमान में यह बहुत टिकाऊ नहीं है|’

एयरलाइन और दूरसंचार का दिया उधारण 

मनीलाइफ से बात करते हुए  खूंटिया ने कहा ‘बीमा कंपनियों के बिचौलियों और नीति धारकों को एक स्थायी माहौल बनाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है, क्योंकि अन्य उद्योगों में अगर अनुचित प्रतिस्पर्धा उद्योग ग्रस्त है लेकिन ग्राहक को नुकसान नहीं होता है| जबकि एयरलाइंस और दूरसंचार उद्योगों में ऐसा हुआ है| बीमा उद्योग में इस तरह की स्थिति है लेकिन हम बर्दाश्त नहीं कर सकते|’

उन्होंने आगे कहा ‘अगर एक उद्योग ग्रस्त होते हैं, तो ग्राहक भी पीड़ित होते हैं, और एक नियामक के रूप में हम ऐसा नहीं होने देना चाहेंगे| किसी को भी अधिभार नहीं देना चाहिए और न ही कम करना चाहिए|’

IDBI का अधिग्रहण 

राज्य जीवन बीमा कंपनी LIC के IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी के मुद्दे पर, उन्होंने कहा ‘हमने LIC को याद दिलाया है| वे अभी तक आगे नहीं आए हैं| हमने तब एक रोडमैप बनाया था| उम्मीद है कि यह जल्दी ही पूर्ण हो जाएगा|’

बीमा में FDI 

बीमा क्षेत्र में प्रस्तावित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को 49% से बढाकर 74% करने के बारे में उन्होंने कहा, ‘हमने विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए हितधारकों की राय मांगी है| अधिनियम के अनुसार 49 प्रतिशत FDI की अधिकतम सीमा है| अगर यह स्वाभाविक रूप से 74 प्रतिशत हो जाता है तो अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए|’