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बैड लोन में भारत की रैंकिंग दुनिया में सबसे खराब!

रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2020 तक सरकारी बैंकों का सकल NPA बढ़कर 13.2 फीसदी हो सकता है, जो सितंबर 2019 में 12.7 फीसदी था

भारतीय बैंकों के लिए पिछले कुछ साल ज्यादा अच्छे नहीं रहें, विशेषतः साल 2019 तो बैंकों के लिए कई बुरी ख़बरें लेकर आया| जिसमें से सबसे ज्यादा खबर बैंकों के लोन डूबने के बारे में आई| इसी क्रम में एक और कड़ी जुड़ गई है| बैड लोन के मामलें में आए एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत की स्थिति को सबसे खराब बताते हुए पहला स्थान दिया गया है|

NPA ने धीमी की विकास की रफ़्तार

भारतीय अर्थव्यवस्था में लंबे समय से सुस्ती बरकरार है, इस सुस्ती में तब और वृद्धि हो जाती है जब बैड लोन की संख्या और मात्रा बढ़ जाती है| भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में नॉन परफॉर्मिंग असेट (NPA) यानी बैड लोन एक बड़ी समस्या है| बैंकों का करोड़ों रुपये बैड लोन में फंसे पड़े हैं| बैंकिंग सेक्टर पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है और बैंकों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो रहा है| NPA में बढ़ोतरी की वजह से बैंक लोन देने में और भी सावधानी बरत रहे हैं, जिससे आर्थिक विकास अवरुद्ध हो रहा है|

बैड लोन में भारत की रैंकिंग

विदित हो कि बैड लोन के मामले में विश्व की 10 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत शीर्ष पर है| दूसरे स्थान पर इटली है| दिसंबर 2018 तक इटली का बैड लोन अनुपात 8.5 फीसदी था| मार्च 2019 तक 3.1 फीसदी के अनुपात के साथ ब्राजील बैड लोन की सूची में तीसरे स्थान पर था| दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में बैड लोन के मामले में कनाडा को सबसे साफ सुथरा देश माना गया है| कनाडा में बैड लोन का अनुपात मात्र 0.4 फीसदी है|

भारत बनाम चीन

बैड लोन के मामले में चीन की स्थिति भारत से बेहतर है| भारत का करीब 11.46 लाख करोड़ रुपये बैड लोन में फंसा हुआ है, वहीं चीन का इससे तीन गुना कम यानी करीब 3.79 लाख करोड़ रुपया ही बैड लोन में फंसा हुआ है| आंकड़ों के अनुसार, चीन में मार्च 2019 तक बैड लोन अनुपात 1.8 फीसदी था, जबकि इसी दौरान भारत में यह अनुपात 9.3 फीसदी रहा|

RBI ने किया सावधान

हाल ही में बैंकों के NPA को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी आगाह किया था| RBI ने कहा कि सितंबर 2020 तक बैंकों का सकल NPA अनुपात बढ़कर 9.9 फीसदी हो सकता है, जो सितंबर 2019 में 9.3 फीसदी के स्तर पर था| RBI ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (FSR) में यह बात कही|

बैड लोन में सरकारी बैंकों की स्थिति सबसे खराब

रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2020 तक सरकारी बैंकों का सकल NPA सितंबर 2019 के  12.7 फीसदी से बढ़कर 13.2 फीसदी हो सकता है| वहीं इसी अवधि के दौरान निजी बैंकों का सकल NPA 3.9 फीसदी से बढ़कर 4.2 फीसदी तक पहुंच सकता है| विदेशी बैंकों का सकल NPA 2.9 फीसदी से बढ़कर 3.1 फीसदी हो सकता है| रिपोर्ट में कहा गया कि बैंकों का नेट NPA अनुपात सितंबर 2019 में घटकर 3.7 फीसदी रह गया, जिससे प्रोविजनिंग में बढ़ोतरी का पता चलता है|

विदित हो कि भारत GDP के मामले में काफी पिछड़ रहा है और इसमें बैड लोन का योगदान बहुत है| चुकी अब अपना पैसा डूबने के डर से बैंक लोन देने में बहुत ही ज्यादा सावधानी बारत रहे हैं, जिससे उचित प्रोजेक्ट के लिए भी लोगों और संस्थाओं को लोन मिलने में परेशानी हो रही है, फलस्वरूप विकास गति रुक रही है|