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बजट 2020 मे लोन पर ब्याज दर कम हो, जूता उधमियों की मांग

ब्याज दर कम हो जूता उधमी

देश मे अभी आम बजट पेश होने वाला है बजट पेश होने मे बहुत कम समय बचा है। उधोग क्षेत्र का हाल अच्छा नहीं चल रहा है। 2020-2021 के बजट से उधोग क्षेत्र के लोगों को काफी उमीदें हैं। देश की 65 प्रतिशत जूता बनाने वाली कंपनियों ने वित्त मंत्री को एक सुझाव प्रस्ताव भेजा है, उस प्रस्ताव मे जूता उधमियों ने टैक्स कम करने, ब्यज को घटने ,और कंपनियों को इंसेंटिव दे कर उत्पादन मे बढ़ावा करने इस तरह के सुझाव दिए हैं। इस सुझाव मे आगरा के फुटवियर उधमी मे शामिल थे।

एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि मेक इन इंडिया के तहत उधोग क्षेत्र की जरूरतों के मुताबिक अवसंरचना तैयार किया जाना चाहिए जिससे उधमियों को मुनाफ मिल सके। इसके अलावा लोन पर ब्याज दरों में कमी की दरकार है। गोपाल गुप्ता ने कहा कि 15 साल से एमएसएमई (अति लघु, लघु व मध्यम उद्योग) की लिमिट 10 करोड़ है। यह 25 या 30 करोड़ तक होनी चाहिए। लिमिट बढ़ाए बगैर इकाइयां विस्तार और उत्पादन में बढ़ोतरी कैसे कर पाएंगी, भले ही इसके लिए अलग से एमएसएमई प्लस कैटैगरी बना दें।

जीएसटी रिफंड मे बदलाव जरूरी

जूता निर्यातकों का कहना है कि जीएसटी रिफंड  में भी बदलाव की जरूरत है। अभी तक जीएसटी का रिफंड बहुत लेट से मिलता हैं। जूता उद्योग मुश्किल हालातों से गुजर रहा है, लेदर फुटवियर में होड़ को देखते हुए कम ब्याज दरों पर पूंजी मिलनी चाहिए ताकि जूता निर्यातक अच्छे से निर्यात कर सकें , वहीं पर्यावरण संबंधी नियमों को व्यवहारिक किया जाए। निर्यातकों  का कहना है कि उनको पूंजी कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराई जाए और उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उद्योग की जैसी हालत है, उसे देखते हुए आयकर स्लैब में भी कमी की जरूरत है।  

जूते बनाने का हुनर आगरा का सबसे अलग और बेहतरीन है। आगरा का ये हुनर मुगलों के समय से ही प्रसिद्ध है। देश के घरेलू जूता उत्पादन में  65 प्रतिशत  आगरा की हिस्सेदारी है, वहीं देश से निर्यात होने वाले फुटवियर में आगरा की भागीदारी 27 फीसदी है।  5 हजार करोड़ रुपये का लेदर फुटवियर निर्यात आगरा से होता है। करीब चार लाख कारीगर फुटवियर से जुड़े हैं और 6 लाख लोगों को यह सीधे रोजगार दे रहा है।