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बड़े स्तर पर लोन डिफॉल्ट्स के चलते बैंकों की चिंता बढ़ी

बैड लोन में सालाना गिरावट आठ साल में पहली बार दर्ज़ हुई है, उसका पर्सेंटेज बढ़ भी सकता है।

साल 2020 यूं तो बहुत कुछ लेकर आया है मगर बैंकों के हिस्से में आई है निराशा। हाँ बैंकों में साल की शुरुआत अच्छी नहीं रही। बैंकों को लोन डिफॉल्ट्स के चलते करीब 30000 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग करनी पड़ सकती है।

नवभारत टाइम्स के अनुसार यस सिक्यॉरिटीज के लीड ऐनालिस्ट राजीव मेहता ने कहा, ‘प्रोविजिनिंग बढ़ाने का फैसला तो बैंकों के विवेक पर निर्भर करता है लेकिन ज्यादातर बैंक ज्यादा प्रोविजन कवरेज रेश्यो वाला सिस्टम अपना रहे हैं, इसलिए बाजार उनसे इन स्ट्रेस्ड ऐसेट के लिए ज्यादा प्रोविजनिंग किए जाने की उम्मीद कर रहा है।’

रिलायंस होम फाइनैंस, DHFL, कॉफी डे एंटरप्राइजेज और CG पावर के लोन डिफॉल्ट के चलते करीब 30000 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग करनी पड़ सकती है।  बैंकों की प्रोविजनिंग में हालाँकि सितंबर तिमाही में थोड़ी कमी दिखी मगर दिसंबर तिमाही में हालात बिगड़े हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि  इन कंपनियों के डेट रेजॉल्यूशन को लेकर अब तक कुछ तय नही हुआ है.  सबसे ज्यादा दिक्कत DHFL के मामले में आ सकती है क्योंकि रिजर्व बैंक के रूल्स के मुताबिक किसी लोन अकाउंट के NCLT के पास भेजे जाने पर उसके लिए 40% प्रोविजनिंग उसी साल करना जरूरी होता है।

एक नज़र

  • बैंकों को लोन डिफॉल्ट्स के चलते करीब 30000 करोड़ रुपये की प्रोविजनिंग करनी पड़ सकती है।
  • रिलायंस होम फाइनैंस, DHFL, कॉफी डे एंटरप्राइजेज और CG पावर के लोन डिफॉल्ट का बैंकों पर निराशाजनक असर।
  • DHFL के लिए बैंकों पर 25,000 करोड़ रुपये के सिस्टम लेवल प्रोविजनिंग का बोझ पड़ेगा।
  • रिलायंस होम फाइनैंस में बैंकों का 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का एक्सपोजर है।
  • CCD में बैंकों के  4,970 करोड़ रुपये लगे हुए हैं।
  • CG पावर में 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बैंकों ने लोन दिए हैं।
  • वोडाफ़ोन और आईडिया पर SBI  का कुल 1.17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।
  • बैड लोन में सालाना गिरावट आठ साल में पहली बार दर्ज़ हुई है, उसका पर्सेंटेज बढ़ भी सकता है।

बैंकरप्ट हो चुकी होम लोन कंपनी में फाइनैंशियल सिस्टम का 87,000 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है लेकिन ज्यादातर बैंकों ने इसके लिए बमुश्किल 10-15% की प्रोविजनिंग की है। सिर्फ DHFL के लिए बैंकों पर 25,000 करोड़ रुपये के सिस्टम लेवल प्रोविजनिंग का बोझ पड़ेगा। रिलायंस होम फाइनैंस में बैंकों का 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का एक्सपोजर है जबकि CCD में उनके 4,970 करोड़ रुपये और CG पावर में 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा लगे हुए हैं।

इसके बाद दूसरा बड़ा लोन अकाउंट वोडाफोन आइडिया का है जिनमें लेंडर्स को प्रोविजनिंग को लेकर फैसला करना है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया वोडाफोन आइडिया का लीड लेंडर है और कंपनी में इसका 12,000 करोड़ रिपये का एक्सपोजर है। कंपनी पर कुल 1.17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।
रिजर्व बैंक ने अपने ताज़ा स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा है कि इंडियन बैंकिंग सिस्टम अब तक मुश्किलों से नहीं उबर पाया है। बैड लोन में सालाना गिरावट आठ साल में पहली बार दर्ज़ हुई है, उसका पर्सेंटेज बढ़ भी सकता है।