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भारतीय कंपनियों का विदेशी सूचकांक में शामिल होने की संभावना

सरकार भारतीय कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी दे सकती है।

सरकार भारतीय कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी देने के पक्ष में साकारात्मक नीति अपना सकती है। समाचार एजेंसी से प्राप्त ख़बरों के अनुसार एक सरकारी अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय कंपनियों को अपने इक्विटी शेयर विदेश में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी देने के बारे में सरकार निर्णय कर सकती है।

भाषा से किये गए बातचीत के अनुसार  कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और बाजार नियामक सेबी भारतीय कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध कराने की अनुमति देने के पक्ष में हैं।  अन्य विभागों और नियामकों के भी इस बारे में जल्द ही सहमत होने की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा कि इस बारे में जल्दी ही निर्णय हो सकता है।

अतिरिक्त पूंजी का विकल्प

अगर सरकार भारतीय कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी देती है तो ये देश में अतिरिक्त पूंजी जुटाने का बेहतर विकल्प सावित होगा। इससे जहां व्यापार गतिविधियां बढ़ाने को इच्छुक कंपनियों को अतिरिक्त कोष जुटाने का विकल्प मिलेगा, वहीं विदेशों में सूचीबद्धता से देश में और पूंजी लाने में मदद मिलेगी।

अधिकारी ने कहा कि कई कंपनियां इक्विटी शेयर को विदेश में सूचीबद्ध कराने को इच्छुक हैं। फिलहाल कुछ भारतीय कंपनियों के पास ‘अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट’ (एडीआर) हैं, जिसका कारोबार अमेरिका में होता है। वहीं कुछ अन्य कंपनियों के पास ‘ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीट’ (जीडीआर) हैं।

मुख्य सन्दर्भ

  • भारतीय कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी की संभावना।
  • अन्य विभागों और नियामकों के भी इस बारे में जल्द ही सहमत होने की उम्मीद।
  • इसके लिये कंपनी कानून और सेबी नियमन में बदलाव की जरूरत होगी।
  • ये देश में अतिरिक्त पूंजी जुटाने का बेहतर विकल्प सावित होगा।
  • कुछ भारतीय कंपनियों के पास पहले ही एडीआर और जीडीआर हैं।

घरेलू कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध कराने की मंजूरी देने के लिये कंपनी कानून और सेबी नियमन में बदलाव की जरूरत होगी।उसने कहा कि फिलहाल केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को विदेश में सूचीबद्ध होने की मंजूरी मिल सकती है