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भारत में बैंकिंग संस्थान!

जाने भारत में कितने प्रकार के बैंक होते हैं और उसके क्या-क्या कार्य है|

बैंक (Bank) उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करती है| लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु भी इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं|

भारत में बैंकों के प्रकार

आर्थिक विकास की बढ़ती गति के साथ मुद्रा और ऋण की आवश्यकता में भी वृद्धि हुई| इस कारण बैंक के कई प्रकार विकसित हुए तथा बैंकों में भी विशिष्टीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई, परिणामस्वरूप कुछ विशिष्ट कार्यों के लिए साख एवं अन्य सुविधा प्रदान करने हेतु विविध प्रकार के ऋण एवं अन्य सुविधा प्रदान करने के लिए विशेष प्रकार के बैंकों की स्थापना की गई| कार्यप्रकृति के आधार पर भारत में बैंकों के प्रकार निम्नलिखित है| भारत में बैंकों को इन 10 प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  1. केन्द्रीय बैंक (central bank of india)- प्रत्येक देश के बैंकिंग ढाँचे में सर्वोच्च संस्था के रूप में केन्द्रीय बैंक होता है| यह बैंक साख का नियमन एवं नियंत्रण, देश की बैंकिंग व्यवस्था पर प्रभावी नियन्त्रण नोट निर्गमन तथा सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है| भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) केन्द्रीय बैंक के रूप में कार्य कर रहा है| इसे बैंकों का बैंक भी कहा जाता है और इसका मुख्यालय मुंबई है|
  2. व्यापारिक बैंक (commercial banks)- जो बैंक सामान्य बैंकिंग का कार्य करते है, उन्हें व्यापारिक बैंक कहा जाता है| ये बैंक धन जमा करने, ऋण देने, ग्राहक के अभिकर्ता के रूप में उसके धन का प्रेषण करने, चेक, बिल आदि का संग्रहण तथा भुगतान करने, साख पत्र जारी करने सम्बन्धी अनेक कार्य करते है| भारत में व्यापारिक बैंक सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में काम कर रहे है|सरकार ने आर्थिक सुस्ती दूर करने और देश में विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के 10 सरकारी बैंकों का विलय कर  कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है| बैंकों के इस महाविलय के बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी| भारत में स्टेट बैंक समूह सहित 27 व्यापारिक बैंक सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत है| जिसे सरकार का महाविलय करके संख्या को 12 तक लाने की योजना है| भारत में प्राइवेट व्यापारिक बैंकों की भी एक श्रृंखला है जिसमें icici बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक इत्यादि प्रमुख हैं|
  3. सहकारी बैंक (cooperative bank )- भारत में सहकारी बैंक विशेष रूप से कृषि ऋण/लोन की आवश्यकता को पूरा करने का कार्य करते है| ये बैंक सहकारिता के सिद्धांत पर कार्य करते है| भारत में सहकारी बैंकों का ढ़ाचा त्रिस्तरीय है| राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक, जिला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक तथा ग्राम स्तर पर प्राथमिक सहकारी कृषि साख समितियाँ कार्यरत है| कृषि हेतु दीर्घ लोन उपलब्ध करवाने के लिए राज्य स्तर पर केन्द्रीय भूमि विकास बैंक तथा जिला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक स्थापित किये गये है| पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक लिमिटेड, सारस्वत सहकारी बैंक लिमिटेड आदि कुछ सहकारी बैंक के उधारण है|
  4. औद्योगिक विकास बैंक (Industrial development bank)- ये बैंक उद्योगों के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए दीर्घकालीन एवं आसान किस्तों पर ऋण उपलब्ध करवाते है| ये बैंक कंपनियों को प्रबंधकीय, तकनिकी, विपणन आदि के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करते है| भारत में आजादी के बाद अनेक विकास बैंकों की स्थापना की गई है| राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उद्योगिक वित्त निगम 1948, भारतीय उद्योगिक साख एवं विनियोग निगम 1955, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक 1964, भारतीय ओद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक 1985, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) 1990 तथा राज्य स्तर पर राज्य वित्त निगम कार्यरत है|
  5. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (regional rural bank in hindi)- भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में साख आपूर्ति की समुचित व्यवस्था हेतु क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई है| प्रथम क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना 2 अक्टूबर 1975 को की गई| वर्तमान में भारत में 516 जिलों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 14000 से अधिक शाखाएँ सक्रिय है|
  6. निर्यात आयात बैंक (export import bank of india)- इस बैंक की स्थापना विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए की गई है| यह निर्यातकों एवं आयातकों को साख सुविधाएं प्रदान करता है| भारत में निर्यात आयात बैंक जनवरी, 1982 से कार्यरत है| EXIM बैंक इसका उधारण है|
  7. विनियोग बैंक (investment bank in india)- इन बैंकों का कार्य देश में बिखरी हुई बचतों को एकत्रित कर उसका लाभप्रद विनियोजन करना है| भारत में जीवन बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया, म्युचुअल फंड आदि विनियोग बैंक के रूप में कार्य करते हैं|
  8. बचत बैंक (savings Bank)- पश्चिम देशों में सामान्य वर्ग के लोगों की छोटी छोटी बचतों को प्रोत्साहन देने के लिए अलग से बचत बैंक स्थापित किये गये है| भारत में व्यापारिक बैंक ही ये कार्य करते है| इसके लिए बैंक ग्राहकों को बचत खातों, फिक्स डिपाजिट के लिए प्रोत्साहन देते हैं|
  9. अंतर्राष्ट्रीय बैंक (International bank)- दुसरे विश्वयुद्ध के बाद विभिन्न देशों में बिगड़ी अर्थव्यवस्था को ठीक करने तथा तीव्र आर्थिक विकास हेतु 1944 में अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना की गई, जिसे विश्व बैंक भी कहा जाता है| इस बैंक की दो सहायक संस्थाएं है- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) और 2. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)|
  10. देशी या अनौपचारिक बैंकर्स (informal bankers)- देशी या अनौपचारिक बैंकर्स भारत के सभी भागों में पायें जाते है| ये कृषि व व्यापार के लिए वित्त की व्यवस्था करते है इन्हें महाजन, साहूकार, सराफ आदि नामों से भी जाना जाता है| सामान्यतः ये शोषक वर्ग होते हैं मगर दुर्भाग्य है की ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी ये बहुतायत रूप से सक्रिय हैं|