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मार्ज़िन ट्रेडिंग क्या है, जानें नियम और शर्तें 

इसमें फ़ायदा तो हो सकता है साथ ही नुकसान ना होने की कोई गारंटी भी नहीं होती।

शेयर मार्केट में निवेशक को ब्रोकर की तरफ़ से उनके अकाउंट में मार्ज़िन दी जाती है। जिसको सरल शब्दों में आप ये समझ सकते हैं कि निवेशक को उसके ट्रेडिंग अकाउंट में ब्रोकर की तरफ़ से कुछ अमाउंट उधार दिए जाते हैं, जिससे निवेशक ज़्यादा सेक्युरिटीज़ ख़रीद सकता है। आमतौर कई निवेशक अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे कम होने पर भी ज़्यादा सेक्युरिटीज़ ख़रीदना चाहते हैं, तब मार्ज़िन ट्रेडिंग का इस्तेमाल करते हैं। कुछ निवेशक लगातार margin trading का इस्तेमाल करते हैं जिससे कई बार फ़ायदा और कई बार नुकसान ज़्यादा उठाते हैं।

मार्जिन कितना मिलेगा, नियम और शर्तें

  1. मार्ज़िन कितना मिलता है इसका कोई एक फ़िक्स फ़िगर नहीं है, कारण अलग अलग ब्रोकर अलग अलग मार्ज़िन देते हैं।  ग्राहक को उनके ट्रेडिंग अकाउंट में उपलब्ध बैलेंस का 3 से 5 गुना भी मार्ज़िन दे सकते हैं।
  2. मार्ज़िन पाने के लिए निवेशक के अपने ट्रेडिंग अकाउंट में बैलेंस उपलब्ध होना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि उसमे उपलब्ध बैलेंस के आधार पर ही आपको 3 – 5 गुना मार्ज़िन मिलता है।
  3. ज़रूरी नहीं कि आपको जो मार्ज़िन मिला हो उसे आप किसी भी सेक्युरिटीज़ को इस्तेमाल करने के लिए ख़रीद पायें।कुछ ऐसी भी सेक्युरिटीज़ होती हैं जिसपे आप मार्ज़िन ट्रेडिंग नहीं कर सकते। साथ ही अलग अलग सेक्युरिटीज़ के लिए अलग अलग मार्ज़िन अमाउंट इस्तेमाल होती हैं। मतलब किसी सेक्युरिटीज़ के लिए आपको 5 गुना मार्ज़िन मिल सकता है तो किसी सेक्युरिटीज़ को सिर्फ़ 3 गुना।
  4. सेक्युरिटीज़ पर मार्ज़िन मिलना इसपर निर्भर करता है कि उसकी ख़रीद रेट और उसकी प्रोफाइल क्या है।
  5. मार्ज़िन ट्रेडिंग से ख़रीदे गए सेक्युरिटीज़ उसी दिन बेचना भी होता है क्योंकि ये सिर्फ़ एक ट्रेडिंग दिन के लिए होता है और ब्रोकर को अपना पैसा उसी दिन वापस चाहिए होता है।
  6. मार्ज़िन ट्रेडिंग के बदले निवेशक को कुछ चार्जेज़ भी चुकाने होते हैं।

मार्ज़िन ट्रेडिंग में आप ज़्यादा लाभ की उम्मीद पर अपनी क्षमता से ज़्यादा पैसा लगाते हैं। जबकि अगर आपको कोई नुकसान होता है, तो ब्रोकर पहले अपने पैसे बचाएगा उसके बाद ही आपका लाभ आपको देगा।

मार्ज़िन ट्रेडिंग सभी तरह के निवेशक के लिए वैध है। मार्ज़िन ट्रेडिंग SEBI रजिस्टर्ड है, अर्थात मार्ज़िन ट्रेडिंग SEBI की नीतियों के तहत आता है, इसलिए इसे सट्टेबाज़ी या जुआ नहीं कहा जा सकता है।

नोट

  • इसमें नुकसान तो हो सकता है साथ ही फ़ायदे होने के कोई गारंटी भी नहीं होती।
  • मार्ज़िन ट्रेडिंग जहां profit को बढ़ा सकता है वहीं loss को भी बढ़ाता है।