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मोबाइल कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी – बजट 2020

मोबाइल कंपोनेंट बनाने वाली फर्में अपने बिजनेस की सुरक्षा के लिए ड्यूटी लगने के पक्ष में हैं।

मोबाइल कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाये जाने और नहीं लगाये जाने को लेकर बड़ी बहस है लोगों के बीच। मोबाइल कंपोनेंट्स बनाने वाली फर्में अपने बिजनेस की सुरक्षा के लिए ड्यूटी लगने के पक्ष में हैं। जबकि नवभारत टाइम्स के अनुसार एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘फेज्ड मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम (PMP) के तहत कुछ कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की सिफारिश नहीं की गई है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा ड्यूटी जारी रहेगी लेकिन नई ड्यूटी लगने की संभावना नहीं है।

सरकार ने  मोबाइल हैंडसेट के लिए सस्ते पार्ट्स की सप्लाई और इनकी लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए बजट में इनके डिस्प्ले और टच पैनल असेंबली पर 10 पर्सेंट बेसिक कस्टम्स ड्यूटी लगाने की अपनी योजना को स्थगित कर दिया है ।हालाँकि इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री (MeitY) ने फाइनेंस मिनिस्ट्री को अपने सुझाव भेजे हैं अब देखना है कि बजट में इसका क्या प्रभाव होगा।

ड्यूटी लगने के मुद्दे पर मतभेद

इंडस्ट्री में ड्यूटी लगाने, ना लगाने के मुद्दे पर मतभेद है।  कुछ कंपोनेंट मेकर्स कस्टम्स ड्यूटी लगाने के पक्ष में हैं। उन्होंने मिनिस्ट्री और रेवेन्यू डिपार्टमेंट को पत्र लिखकर डिस्प्ले असेंबली पर इंपोर्ट ड्यूटी लगाने को कहा है जिससे उनका इनवेस्टमेंट सुरक्षित रहे। वहीँ इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने कंपोनेंट्स पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी लगाने को लेकर खुश नही है । इनका मानना है कि यह वियतनाम, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों से इन प्रॉडक्ट्स के जीरो-ड्यूटी इंपोर्ट की स्थिति में कारगर नहीं होगा।

वर्तमान ड्यूटी

विदित हो कि इम्पोर्टेड मोबाइल फोन पर अभी  20 पर्सेंट बेसिक कस्टम्स ड्यूटी लगती है। चार्जर, बैटरी, हेडसेट, USB केबल, स्पीकर और माइक्रोफोन पर 15 पर्सेंट बेसिक कस्टम्स ड्यूटी है। प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली, कैमरा मॉड्यूल और कनेक्टर्स पर 10 पर्सेंट ड्यूटी लगाई जाती है।

लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने और विदेशी कंपोनेंट कंपनियों को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स पर ड्यूटी में कुछ बदलाव किए गए हैं।