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बजट2020: सरकार कर सकती है ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन’ की औपचारिक घोषणा!

सरकार ने हाल ही में लगाया है पाम ऑइल के आयात पर प्रतिबंध   

सरकार खाद्य तेल के लगातार घटते उत्पादन और बढ़ते मूल्य को लेकर काफी गंभीर नज़र आ रही है| इसकी तैयारी के पहले सोपान के तहत सरकार ने सर्वप्रथम हाल ही में पाम ऑइल सहित खाद्य तेलों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि भारतीय किसान तेलहनों के उत्पादन के लिए फिर से प्रयास करना प्रारंभ करें| यहां फिर से इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि नब्बे के दशक में भारत खाद्य तेल के मामले में लगभग आत्मनिर्भर था, जोकि अभी 65% आयात पर निर्भर हो गया है| वही आत्मनिर्भर दिन वापस लाने के मंसा से सरकार ने ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन’ (National Edible Oil Mission) की तैयारी तेज कर दी है और उम्मीद है कि बजट2020 में इसके लिए औपचरिक मंजूरी मिल जाए|

रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श जारी 

ज्ञात हो कि खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार ने मिशन मोड पर काम करना शुरू कर दिया है| केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से National Edible Oil Mission (NEOM) की रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है| NEOM के विजन दस्तावेज को मंजूरी मिलने के बाद इसे लॉन्च किया जाएगा और जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है|

घरेलू उत्पादन को 300 से बढ़ाकर 480 लाख टन करने का लक्ष्य

जिबिज की रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले महीने कहा था कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन लाने जा रही है, जिस पर अमल किए जाने पर तेल आयात पर देश की निर्भरता घटने लगेगी| सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार NEOM के तहत सरकार ने वर्ष 2024-25 तक खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन को 300 लाख टन से बढ़ाकर तक़रीबन 480 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है| आईएएनएस की खबर के मुताबिक, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तिलहन फसलों का रकबा अगले पांच साल में बढ़ाकर 300 लाख हेक्टेयर से ज्यादा किया जाएगा| इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए सरकार एक तरफ तिलहनों की उत्पादकता में 50 फीसदी वृद्धि करना चाहती है तो दूसरी तरफ खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति खपत में करीब तीन किलोग्राम की कमी करने का लक्ष्य है|

विदेशी मुद्रा बचाने में होगा सहायक 

देश में तिलहनों का कुल उत्पादन इस समय तकरीबन 300 लाख टन होता है जिसे अगले पांच साल में बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य है| सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार खाद्य तेल आयात में कमी लाकर विदेशी मुद्रा की बचत करना चाहती है| माना जा रहा है कि हाल ही में पाम ऑइल सहित खाद्य तेलों के आयात पर लगाया गया प्रतिबंध विदेशी मुद्रा बचाने के साथ तेलहन उत्पादन बढाने की जुगत है|

उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा, “हमलोग काफी समय से इसकी मांग करते रहे हैं और जब यह लॉन्च होगा हमलोग तहे दिल से इसका स्वागत करेंगे|” वहीं SEA के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बी. वी. मेहता ने बताया कि देश में सालाना खाद्य तेल के आयात पर तकरीबन 75,000 करोड़ रुपए खर्च होता है|

तेल और तिलहन उत्पादन बढ़ाने का होगा लक्ष्य

सूत्रों ने कहा कि ऐसे में सरकार ने NEOM के तहत जिस मिशन मोड में तेल और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने लक्ष्य रखा है, उससे खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम होने से आयात बिल घटना स्वाभाविक है| पिछले तेल-तिलहन सीजन 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान भारत ने 149.13 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जबकि इससे एक साल पहले 2017-18 के दौरान खाद्य तेल का आयात 145.16 लाख टन हुआ था| कुल वनस्पति तेल (खाद्य एवं अखाद्य तेल) का आयात 2018-19 में 155.49 लाख टन हुआ था जबकि एक साल पहले 2017-18 के दौरान कुल वनस्पति तेल का आयात 150.02 लाख टन हुआ था|

65 फीसदी पाम तेल आयात करता है भारत 

विदित हो कि भारत खाद्य तेल के कुल आयात का तकरीबन 65 फीसदी पाम तेल आयात करता है| पाम तेल का आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से होता आया है जहां बायोडीजल में पाम तेल के उपयोग की अनिवार्यता लागू होने से भारत के लिए आयात महंगा हो गया है, जिससे भारत में तमाम खाद्य तेल महंगे हो गए हैं| इस सन्दर्भ में सरकार का ताज़ा कदम यह है कि भारत ने पाम खाद्य तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है| अब सिर्फ क्रूड पाम ऑइल का ही आयात क्र सकती है, वह भी सिर्फ उन कारोबारियों को अनुमत होगी जिनके पास इसके लिए वैध लाइसेंस होंगे|

कुल मिलाकर सरकार का यह प्रयास है की खाद्य तेलों के आयात पर से निर्भरता को कम करते हुए स्वदेशी उत्पादन और विकास की तरफ प्रस्थान किया जाए और राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन इस लक्ष्य को पाने में सहयोगी होगा|