राष्ट्रीय शहद मिशन से मिलेगा रोजगार
भारत में 200 मिलियन मधुमक्खी के छत्ते की क्षमता है
पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली तथा बी वेनम,शहद जैसे उत्पाद बेचने योग्य हैं और मजदूरी के लिए शहरों में जाने वाले किसानों को इन उत्पादों की बिक्री से सहायता मिलेगी। हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 200 मिलियन मधुमक्खी के छत्ते की क्षमता है जबकि आज देश में 3.4 मिलियन मधुमक्खी के छत्ते हैं। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी के छत्तों की संख्या बढ़ाने से न केवल मधुमक्खी से जुड़े उत्पादों में वृद्धि होगी बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि तथा बागवानी उत्पादों को समग्र रूप से प्रोत्साहन मिलेगा। ये बातें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष श्री वी. के. सक्सेना ने कही|
ताकि किसान अतिरिक्त आय की प्राप्ति कर सकें…
सक्सेना ने कहा कि खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसानों को सशक्त बनाने का निरंतर काम कर रहा है| जिससे वहां के किसान एमएसएमई की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अतिरिक्त आय की प्राप्ति कर सकें। उन्होंने इस अवसर पर किसानों को स्वरोजगार के लिए मधुमक्खी पालन के 1,000 बक्से भी वितरित किए। केवीआईसी के अध्यक्ष ने बताया कि केवीआईसी ने 2017 से केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के 30,000 बक्सों का वितरण किया है। इससे लगभग 3,000 शिक्षित बेरोजगार किसानों के लिए मधुमक्खी उत्पादन में अतिरिक्त रोजगार मिल रहा है।
राष्ट्रीय शहद मिशन कार्यक्रम:
राष्ट्रीय शहद मिशन कार्यक्रम के महत्व की चर्चा करते हुए सक्सेना ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में फूल पौधों की प्रचूरता है| यहां शहद उत्पादक राज्य बनने की क्षमता है लेकिन इसका पूरा दोहन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऊंचाई से निकाल गया शहद एंटीऑक्सीडेंट्स में संपन्न हैं और इसे ऊंची कीमत पर बेचा जा सकता है। बजट-2020 के बाद केवीआईसी की योजना अरुणाचल प्रदेश में मधुमक्खी पालन के 2,500 बक्से वितरण करने की है| जबकि अगले वर्ष मधुमक्खी पालन के 10,000 बक्सों को वितरित किया जाना है। उन्होंने बताया कि 1960 के बाद पहली बार केवीआईसी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में खादी कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिए दो नए खादी संस्थानों – यूथ फॉर सोशल वेलफेयर, तवांग तथा रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी, पपुम पारे- को पंजीकृत किया है।