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वित्तीय संकट:RBI से 45,000 करोड़ चाहती है सरकार

आर्थिक सुस्ती और राजकोषीय घाटा बड़ी चुनौतियां

देश की अर्थव्यवस्था के हालात चिंताजनक अवस्था में जा पहुंचे हैं|बीते दिनों केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार आगामी वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत जीडीपी रहने कि संभावना है|आर्थिक सुस्ती और राजकोषीय घाटा सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं|सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर सुधार नजर नही आ रहा|विभिन्न रेटिंग एजेंसियां इस विषय में अपना अनुमान जता चुकी हैं|इस बीच न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 45 हजार करोड़ की मदद मांग सकती है|

राजकोषीय घाटे से जूझ रही है सरकार:

आर्थिक सुस्ती और वैश्विक मंदी ने मोदी सरकार के लिए परिस्थितियां और भी मुश्किल बना दी हैं|सरकार राजस्व संग्रह में गिरावट से जूझ रही है|विदित हो कि कुछ माह पूर्व कॉर्पोरेट टैक्स में दी गयी राहत से सरकार के राजस्व संग्रह में कमी का बड़ा कारण है|इसके अलावा जीएसटी और टैक्‍स कलेक्‍शन भी उम्‍मीद के अनुरूप न होने से आर्थिक संकट और गहरा गया है|मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,चालू वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार करीब 19.6 लाख करोड़ रुपये राजस्व की कमी से जूझ रही है|

क्यों चाहिए रकम?

रॉयटर्स की खबर के मुताबिक सरकार राजस्‍व बढ़ाने के लिए ये कदम उठाने वाली है|चालू वित्त वर्ष काफी मुश्किल दौर में है। इस साल आर्थिक सुस्ती के चलते देश की विकास ग्रोथ 11 साल के सबसे नीचे के पायदान पर रह सकती है।इन मुश्किल परिस्थितियों में आरबीआई की मदद से सरकार को मिल सकती है बड़ी राहत|विदित हो रिजर्व बैंक ने केंद्र को लाभांश (डिविडेंड) के तौर पर 1.76 लाख करोड़ रुपये देने की बात कही थी|RBI द्वारा दी गयी रकम में 1.48 लाख करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिए दिए गए थे|अगर आरबीआई  लाभांश देती है तो यह लगातार तीसरा साल होगा,जब सरकार के पास अंतरिम लाभांश आएगा|हालांकि इस मुद्दे को लेकर सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद भी हो सकते हैं|इससे पूर्व भी लाभांश ट्रांसफर के से जुड़े मामले में पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे चुके हैं|