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सरकार के 19000 करोड़ की मांग से नाराज सरकारी तेल कंपनियां!

ONGC और इंडियन ऑइल से कहा गया है कि वे इस कुल रकम में से करीब 60 प्रतिशत हिस्सा दें

ज्यों-ज्यों बजट नजदीक आते जा रहा है, बजट2020 को घाटे के बजाए मुनाफे का बजट बनाने के लिए सरकार के प्रयासों में तेज़ी आती जा रही है| इसी क्रम में सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों से 19000 करोड़ रूपए के डिविडेंट की मांग की है| जिसमे से 60% हिस्सा सिर्फ दो कंपनियों ONGC और इंडियन ऑइल को मिला कर देना है| सरकार के इस मांग से तेल कंपनियां थोड़ी नाराज दिख रही हैं|

सिर्फ एक कंपनी का बढ़ा है फायदा

वित्त मंत्रालय ने मांग की है कि सरकारी ऑइल कंपनियों को इस साल डिविडेंड भुगतान या तो पिछली बार जितना रखना चाहिए या बढ़ाना चाहिए| इसके विपरीत कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी डिमांड करते समय यह भी तो देखा जाना चाहिए कि कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी पिछले साल जितनी है भी या नहीं| विदित हो कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में इंजीनियर्स इंडिया को 4 प्रतिशत मुनाफा हुआ था| इसके अलावे बाकी सभी कंपनियों का मुनाफा घटा ही है|

विरोध कर रहीं कंपनियां

सूत्रों ने बताया कि कंपनियां इस मांग का विरोध कर रही हैं और यह रकम कम करने के लिए सरकार से बातचीत कर रही हैं| उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इससे कम भुगतान की मांग मान ली जाए| अधिकारियों ने कहा कि इतना डिविडेंड देने के लिए कंपनियों को कर्ज भी लेना पड़ सकता है| एक एग्जिक्यूटिव ने कहा, ‘जो मांग की जा रही है वह इस साल अब तक हासिल प्रॉफिट के अनुरूप नहीं है|’

सरकार ने की है 5% ज्यादा डिविडेंड की मांग

ऑइल कंपनी के अधिकारियों ने यह शिकायत भी रखी कि एक ओर तो इन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचती जा रही है, दूसरी ओर वह ज्यादा डिविडेंड मांग रही है| मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि ONGC को करीब 6,500 करोड़ रुपए, इंडियन ऑयल को 5,500 करोड़, BPCL को 2,500 करोड़, GAIL को 2,000 करोड़, ऑयल इंडिया को 1,500 करोड़ और इंजीनियर्स इंडिया को 1,000 करोड़ रुपए बतौर डिविडेंड सरकार को देने पड़ सकते हैं| विदित हो कि इस साल जितने डिविडेंड की मांग की गई है, वह पिछले साल के मुकाबले करीब 5 प्रतिशत ज्यादा है|

इस मामले के विशेषग्य बता रहें हैं कि सरकार अपने सामजिक दायित्यों की पूर्ति को पूर्ण करने के लिए सरकारी तेल कंपनियों पर दबाव बना कर डिविडेंट प्राप्त करना चाह रही है| सरकार की मंसा यह भी है कि सरकारी मांग बढ़ने से सरकारी कंपनियां अपने कार्यप्रणाली में सुधार लाकर मुनाफा बढ़ने के प्रयासों को तेज करें| अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकारी कंपनियां सरकार के दबाव में आकर तेल कंपनियां कही बाहर से धन की व्यवस्था करके लाती है, या सरकार के साथ डिविडेंट की मांग को कम कराने के मोलभाव में सफल होती है|