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सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के विनिवेश की प्रक्रिया शुरू

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है

राजकोषीय घाटे से जूझ रही मोदी सरकार ने विनिवेश के कई बड़े निर्णय लिए हैं|अब तक हुए विभिन्न निर्णयों में बीपीसीएल और एयर इंडिया के बाद अब सरकार ने  सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) का निजीकरण करने का फैसला लिया है। विनिवेश से राजस्व जुटाने के क्रम में सरकार ने इस सरकारी कंपनी की 100 फीसदी हिस्सेदारी मैनेजमैंट कंट्रोल के साथ बेचने का निर्णय लिया है|बिक्री के लिए निविदा प्रस्ताव 16 मार्च से मंगाए जायेंगे|

जानीये सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के विषय में:

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।यह व्यावसायिक रूप से देश के राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा विकसित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के उद्देश्य से 1974 में स्थापित किया गया था। सीईएल ने अपनी अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के माध्यम से तथा रक्षा प्रयोगशालाओं सहित प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ मिल कर देश में पहली बार कई उपकरणों का विकास किया है इन सभी प्रयासों की मान्यता में, सीईएल को कई बार प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलें हैं जिसमे वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग द्वारा “राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास पुरस्कार” भी शामिल है। सीईएल ने 1977 में भारत का पहला सोलर सेल और 1978 में पहला सोलर पैनल बनाया था। सीईएल ने 1992 में देश का पहला सोलर प्लांट शुरू किया था।

रणनीतिक विनिवेश 2.10 लाख करोड़ रूपये जुटाने का लक्ष्य:

राजकोषीय घाटे से जूझ रही केंद्र सरकार विनिवेश के माध्यम से राजस्व जुटाना चाहती है|विदित हो कि मोदी सरकार ने अगले वित्त वर्ष में 2.10 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की पूर्ति सरकारी कंपनियों की बिक्री, आईपोओ और ऑफर फॉर सेल के जरिए की जायेगी। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश के जरिए 1.05 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था। अब यह लक्ष्य असंभव दिख रहा है, ऐसे में सरकार ने इसे घटाकर 65 हजार करोड़ रुपए कर दिया है।

नियम और शर्तें:

डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) की ओर से जारी दस्तावेज में कहा गया है कि सरकार ने सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के 100 फीसदी विनिवेश को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। इस विनिवेश के तहत कंपनी का मैनेजमैंट कंट्रोल भी ट्रांसफर किया जाएगा। इस ट्रांजेक्शन की पूरी प्रक्रिया को दो भागों में बांटा गया है। दस्तावेज की शर्तों के अनुसार सफल बोलीदाता के लिए तीन साल का लॉक इन पीरियड रहेगा। इस अवधि में बोलीदाता सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में से किसी हिस्सेदारी की बिक्री नहीं कर सकेगा। सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के लिए बोलीदाता की मार्च 2019 तक कम से कम 50 करोड़ रुपए की नेटवर्थ होनी चाहिए। दस्तावेज में कहा गया है कि कंपनी के कर्मचारी भी बोली प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। इस प्रक्रिया का सलाहकार रीसर्जेंट इंडिया लिमिटेड को बनाया गया है।