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स्टार्टअप बजट 2020 -“स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया” की उम्मींदे

केंद्र सरकार ने स्टार्टअप को बढ़ावा देने के मकसद से ही इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी।

“स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया है” की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस 2015 के भाषण में की गयी थी। ये मोदी सरकार द्वारा देश के युवाओं की मदद करने के लिये एक प्रभावी योजना है। केंद्र सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के मकसद से ही इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। हालांकि सरकार के संरक्षण देने के बावजूद इन कंपनियों पर भी अन्य छोटी बड़ी कंपनियों की तरह टैक्स लग रहा है। ऐस में कई कंपनियां शुरू होने से पहले ही बंद हो गईं। स्टार्ट अप सेक्टर से जुड़ी कंपनियां अभी भी यह चाहती हैं कि सरकार इनको अन्य कंपनियों से तुलना करना बंद कर दे। एंजल टैक्स, एलटीसीजी और लाभांश में रियायत दे, तभी यह कंपनियां अच्छे से अपना कारोबार कर सकती हैं।

बजट 2020 से उम्मीदें

समाचार एजेंसी से मिली ख़बरों के अनुसार देश की सबसे बड़ी पुरानी कार और दोपहिया वाहनों की खरीद फरोख्त करने वाले पोर्टल ड्रूम के संस्थापक व सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम पिछले एक दशक में लंबा सफर तय कर चुका है, जो अमेरिका व चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे मजबूत इकोसिस्टम है। 2010 में हमारे यहां केवल 2 यूनीकॉर्न थे और अब उसकी तुलना में इस समय 25 के करीब यूनीकॉर्न है और संख्या के लिहाज से यूनीकॉर्न की सूची में तीसरे स्थान पर हैं।

5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप मददगार हो सकती है 

भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा जा रहा है और स्टार्टअप इकोसिस्टम इसे हासिल करने में इनोवेशन, रोजगार के नए अवसरों और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देकर महत्वपूर्ण मदद कर सकता है।  हालांकि, इसे वास्तविकता बनाने के लिए हमारी अपेक्षा है कि सरकार इस बजट में सक्रिय भागीदारी दिखाएगी। संदीप अग्रवाल ने वित्त  मंत्री निर्मला सीतारमण से कुछ मांगे रखी है।

स्टार्टअप्स को सिंगापुर की तर्ज पर कैपिटल-गेन टैक्स और लाभांश से मुक्त किय जाये । इस तरह वेंचर कैटेलिस्ट्स की ओर से फंडिंग प्राप्त कंपनियों को आरएंडडी में अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करने या संस्थापकों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन के लिए सक्षम किया जा सकता है।

दूसरा  सरकार देश में सूचीबद्ध होने की अनिवार्यता को त्यागकर भारतीय कंपनियों को सीधे विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करने की अनुमति दें।

तीसरा,  कंपनी इनकॉर्पोरेशन के साथ-साथ कंपनी रजिस्ट्रेशन, दुकान की स्थापना, जीएसटी रजिस्ट्रेशन आदि जैसे सभी रजिस्ट्रेशन के लिए एक सिंगल विंडो हो, जो समय, प्रयास और धन बचाने में मदद करेगी।

चौथा, सरकार ने कंपनियों के परिसमापन के संदर्भ में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं और हमें उम्मीद है कि इसकी समयावधि में भी थोड़ा बदलाव होगा। इनके अलावा, हमारे देश से विदेशी निवेशकों के लिए पैसे निकालने की प्रक्रिया आसान होनी चाहिए।

पांचवा, यदि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के 15 बैंकों और 5 वित्तीय संस्थानों को शुरुआती चरण के निवेश अभियान से जोड़ सकती है तो  प्रत्येक को स्टार्टअप्स के लिए सीड, प्री-सीरीज़ ए और सीरीज ए तक की फंडिंग के लिए 200-500 मिलियन आवंटित कर सकती है। इससे मिलने वाले रिटर्न के मामले का आर्थिक गुणक बहुत बड़ा होगा क्योंकि यह रोजगार के अवसर पैदा करेगा और आर्थिक तरक्की की ओर देश को ले जाएगा।

एनालिटिक्स विद्या के संस्थापक व सीईओ कुणाल जैन ने बातचीत में कहा कि बजट में उम्मीद है कि सरकार इस सेक्टर के लिए कुछ बड़े एलान कर सकती है। कई सारे स्टार्टअप्स एआई का इस्तेमाल लोन देने के लिए कर रहे है। ऐसे में उन लोगों को भी लोन मिल रहा है, जिनको पहले बैंक से लोन नहीं मिलता है। इससे भारत की फिनटेक और बैंकिंग इंडस्ट्री पर लंबे समय में काफी असर पड़ेगा। सरकार को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग पर अपना फोकस करना चाहिए।