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प्याज, आलू के बाद अब चीनी ने की रुलाने की तैयारी

इस्मा के अनुसार 15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन 35% गिरकर 45.8 लाख टन पर आ गया

प्याज के मूल्य में थोड़ी से कमी आनी प्रारंभ ही हुई थी कि आलू की कीमतों ने लगभग 100% की उछाल लेते हुए 40 रूपए के आसपास पहुंच गया| अभी भी इनके मूल्य ऊपर ही बने हुए हैं और एक खबर आ रही है कि इस साल सितम्बर तक चीनी के उत्पादन में 35 फीसदी की गिरावट आई है| इसका अर्थ है कि अब चीनी के मूल्य में वृद्धि होने की परिस्थितियां तैयार हो गई हैं|

निजी चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है की देश का चीनी उत्पादन चालू विपणन सत्र में 15 दिसंबर तक 35 फीसदी गिरकर 45.8 लाख टन पर आ गया है| विदित हो कि चीनी का विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक होता है| चीनी उत्पादन में गिरावट का मुख्य कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने के उत्पादन में तेज गिरावट है| बताते चलें कि विपणन वर्ष 2018-19 की इसी अवधि में चीनी उत्पादन 70.5 लाख टन था|

उत्तर प्रदेश में बढ़ा उत्पादन, महाराष्ट्र-कर्नाटक में घटा

इस्मा के मुताबिक इस साल 15 दिसंबर तक 406 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई चल रही है, जबकि पिछले साल के 15 दिसंबर तक 473 मिलों में पेराई चल रही थीं| हालांकि देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के मिलों ने इस साल के 15 दिसंबर तक 21.2 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है जो एक साल पहले 18.9 लाख टन था| मगर देश का दूसरा बड़ा चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में 74% की तेज गिरावट दर्ज की गयी है| यहां चीनी मिलें 15 दिसंबर 2019 तक भारी गिरावट दर्ज करते हुए 7.66 लाख टन चीनी का उत्पादन ही कर सकी हैं| इसकी तुलना में 15 दिसंबर 2018 तक 29 लाख टन का उत्पादन हुआ था| ऐसे ही तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में 15 दिसंबर, 2019 तक उत्पादन 13.9 लाख टन से 24% गिरकर 10.6 लाख टन पर आ गया है|ऐसे ही अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में इस साल सीमित गन्ने का उत्पादन हुआ है|

चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान

इस्मा के बयान के अनुसार महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहने का कारण दोनों राज्यों के मिलों का देर से काम शुरू करना है| उत्पादन में कमी आने के पीछे अन्य कारणों के साथ एक कारण ताजे गन्ने के साथ बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त गन्ने की पेराई भी है, जिसकी वजह से भी गन्ने से तुलनात्मक रूप से कम उत्पाद (चीनी) प्राप्त हो रहे हैं| दरअसल, चीनी मिलें ताजे गन्ने के साथ बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हुए गन्नों की भी पेराई कर रहे हैं| इस्मा ने चालू विपणन सत्र में कुल चीनी उत्पादन 21.5 फीसदी गिरकर 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है|

अगर सम्पूर्ण आंकड़ों को देखें तो अन्य राज्यों के अलावे महाराष्ट्र सबसे ज्यादा नुकसान में रहा है जिसकी प्रमुख वजह बाढ़ है| बताते चलें की नासिक के आसपास आई बाढ़ की वजह से ही प्याज की कीमतों में भारी उछाल आया था| हालांकि आगे थोडा और उत्पादन बढ़ने का अनुमान है फिर भी यह काफी कम रहने वाला है और अंततः इसका बोझ आपके पॉकेट पर पड़ेगा|