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मिट्टी की जांच होगी आसान, देश भर में बनेंगे 10,845 सॉयल टेस्टिंग लैब

इससे खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल बंद होगा

मिटटी के गुणवत्ता की समस्या से जूझ रहें किसानों के लिए एक राहत भरी खबर बाहर आ रही है| केंद्र सरकार देश भर में 10,845 सॉयल टेस्टिंग लैब बनाएगी| ताकि किसान अपनी खेती के स्वास्थ्य के हिसाब से उसमें उर्वरक डाल सकें| इससे खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल बंद होगा, जिससे लागत कम आएगी, फसल जहरीली नहीं होगी और उत्पादकता बढ़ेगी|

वर्तमान सरकार मिट्टी की सेहत पर दे रही है विशेष ध्यान

ज्ञात हो कि अभी किसान परिवारों की संख्या के मुकाबले देश में काफी कम लैब हैं| जिसकी वजह से उन्हें यह पता नहीं होता कि कौन सी खाद कितनी मात्रा में डालनी है| फिलहाल देश में मोदी सरकार आने के बाद इस तरफ ज्यादा ध्यान दिया गया ताकि जैसे लोग जैसे अपनी सेहत की जांच डोक्टर के पास जाकर करवाते हैं वैसे ही धरती की भी कराएं|

6 सालों संख्या 63 गुना बढ़ें 

विदित हो कि देश में इस समय छोटी-बड़ी 7949 लैब हैं, जो किसानों और खेती के हिसाब से नाकाफी कही जा सकती है| इस बीच केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि 10,845 प्रयोगशालाएं मंजूर की गईं हैं| जो 2009 से 2014 तक मंजूर 171 लैब से 63 गुना अधिक हैं|

न्यूज़18 के रिपोर्ट के अनुसार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिना पार्टी का नाम लिए कहा है कि सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम (Soil Health Card Scheme) पर 2009 से 2014 के बीच 93.92 करोड़ रुपए का बजट था| जबकि 2014 से 2020 तक इसके लिए 1122 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है|

जानकारी के लिए बता दें कि मोदी सरकार ने आज से ठीक पांच साल पहले इस स्कीम की शुरुआत की थी ताकि किसानों को फसल की लागत कम आए और धरती की उर्वरा शक्ति भी खराब न हो|