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जानीये आयकर से जुड़े  4 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर?

कर दाता विलम्बित विवरणी भी दाखिल कर सकते हैं

सही आयकर का भुगतान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का महत्वपूर्ण दायित्व है|करदाताओं के द्वारा जमा किये टैक्स से सरकार कई महत्वपूर्ण योजनाओं को संचालित करती है|दरअसल सही आयकर के भुगतान से हम राष्ट्र के विकास में अपने हिस्से का अंशदान करते हैं|टैक्स चोरी एक दंडनीय अपराध भी है|कई बार लोग सही जानकारी के अभाव में भी अपना योगदान नहीं दे पाते|आज हम आपको आयकर से जुड़े 4 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर देंगे जो प्रायः करदाताओं द्वारा पूछे जाते हैं|

क्या विलंब से भी आयकर विवरणी दाखिल की जा सकती है?

जी हां, यदि कोई निर्धारित नियत तारीख को या उससे पहले आयकर विवरणी दाखिल नहीं कर सका है तो वह विलम्बित विवरणी दाखिल कर सकता हैं। विलम्बित विवरणी निर्धारण वर्ष की समाप्ति या निर्धारण पूर्ण किए जाने से एक वर्ष, जो भी पहले हो की अवधि के भीतर दायर की जा सकती है। निर्धारित नियत तिथि के बाद दाखिल की गयी विवरणी को विलम्बित विवरणी कहा जाता है।बता दें विलम्बित विवरणी पर ब्याज व दंड देय होता है। उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान अर्जित आय के मामले में, विलम्बित विवरणी 31 मार्च 2018 तक दाखिल की जा सकती है। हालांकि, यदि विवरणी 31 मार्च के पश्चात दाखित की जाती है तो धारा 271(च) के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है​|

अतिरिक्त कर के लिए माँगी जाने वाली आवश्यक सूचना?

अतिरिक्त कर को आयकर विवरणी दाखिल करके प्रतिदाय के तौर पर मांगा जा सकता है।यह ईसीएस स्थानांतरण के माध्यम से आपके बैंक खाते में जमा करके प्रतिदाय होगी। आयकर विभाग शीघ्र प्रतिदाय दावों का निपटान करने का प्रयास कर रहा है।​

क्या विवरणी के द्वारा नुकसान का दावा किया जा सकता है?

​हां, बशर्ते कि मूल विवरणी को नियत तिथि से पूर्व दाखिल किया गया हो तथा विभाग ने मूल्यांकन को पूरिपूर्ण न किया हो। यह संभावना की जाती है कि मूल विवरणी में त्रुटि वास्तविक तथा सत्य प्रकार की है तथा किसी जानबूझकर की गयी गलती का प्रदर्शन नहीं हैं।हालांकि एक लंबित विवरणी (नियत तिथि के पश्चात् दाखिल विवरणी के तौर पर) को संशोधित नहीं किया जा सकता​ है| किंतु यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपको नुकसान होता है, जिसे आप अगले वर्षों  की सकारात्मक आय के विरूद्ध समायोजित करने के लिए अगले वर्ष के लिए आगे ले जाना चाहते हैं,तो आपको नियत तारीख से पहले अपनी विवरणी दाखिल करने के द्वारा नुकसान का दावा करना चाहिए।​

क्या मूल विवरणी को संशोधित किया जा सकता है?

हाँ, बशर्ते कि, मूल विवरणी नियत तारीख के पहले दाखिल की गयी है और आयकर विभाग ने निर्धारण पूर्ण नहीं किया है। हालांकि, यह आशा की जाती है कि मूल विवरणी में गलती युक्ति युक्त और सदाशयी प्रकृति की हो और किसी जानबूझकर की गयी गलती के सुधार के लिए नहीं। हालांकि, एक विलम्बित विवरणी (नियत तारीख के बाद दाखिल की जाने वाली विवरणी होने के कारण) संशोधित नहीं की जा सकती।विवरणी को एक वर्ष की अवधि से प्रासंगिक निर्धारण वर्ष की समाप्ति के भीतर अथवा निर्धारण के पूर्ण होने से पूर्व संशोधित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान अर्जित आय की स्थिति में, आय की विवरणी को दाखिल करने की नियत तिथि 31 जुलाई, 2016 है। यदि आय की विवरणी 31 जुलाई, 2016 को अथवा उससे पूर्व दाखिल होती है तो विवरणी को 31 मार्च, 2018 तक संशोधित किया जा सकता है (यह मानते हुए कि मूल्यांकन उस तिथि तक पूर्ण नहीं हुआ है)। हालांकि, यदि विवरणी 31 जुलाई, 2016 के पश्चात् दाखिल होती है तो यह लंबित विवरणी होगा तथा एक लंबित विवरणी को संशोधित नहीं किया जा सकता।