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हेज़ फंड क्या है, कैसे है म्‍यूचुअल फंड से अलग

हेज़ फंड अधिक शॉर्ट टर्म रिटर्न को देखते हैं।

हेज़ फण्ड एक ऐसा फण्ड है जो म्‍यूचुअल फंड द्वारा ही रेगुलेट होता है। हेज़ फण्ड के लिए अभी तक अपना कोई नियम नही है परन्तु  दुनिया भर में म्युचुअल फंड विनियमित हैं। भारत में म्युचुअल फंड को, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड SEBI द्वारा विनियमित किया जाता है, जबकि अमेरिका में उन्हें अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग द्वारा विनियमित किया जाता है। माना जा रहा है कि हेज फंड के लिए नियम भी जल्‍द ही रेगुलेट किए जाएंगे, पर अभी कोई निश्चितता नहीं बनी है।

हेज़ फण्ड और म्यूचुअल फंड

हेज़ फंड किसी भी चीज या हर चीज का एक्सपोजर ले सकते हैं। यह सोना या लॉटरी का टिकट भी हो सकता है। म्यूचुअल फंड के मामले में ऐसा नहीं हो सकता है। म्यूचुअल फंड निवेश करते समय अधिक अनुशासित दृष्टिकोण अपनाते हैं, खुद को गुणवत्ता वाले ऋण और इक्विटी तक सीमित रखते हैं।

म्यूचुअल फंड आमतौर पर बहुत कम अवधि में रिटर्न पर फायदा नहीं देते हैं वरन वे बहुत लंबे समय के लिए निवेश पर पकड़ बनाते हैं। हेज़ फंड अधिक शॉर्ट टर्म रिटर्न को देखते हैं। यानी कि हेज़ फंड में आपको कम समय में भी अच्‍छा रिटर्न प्राप्‍त हो सकता है। म्यूचुअल फंड डेरिवेटिव में निवेश नहीं करते हैं, जबकि हेज़ फंड डेरिवेटिव में निवेश करते हैं। डेरिवेटिव में निवेश करना अल्पावधि में अधिक जोखिम लेने की क्षमता और उन जोखिमों से लाभ के अनुरूप है।

हेज़ फण्ड और म्यूचुअल फंड का मुख्य अंतर 

  • हेज़ फंड किसी भी चीज का एक्सपोजर लेते हैं, म्यूचुअल फंड अनुशासित दृष्टिकोण अपनाते हैं।
  • हेज़ फंड शॉर्ट टर्म रिटर्न को देखते हैं, म्यूचुअल फंड लंबे समय के लिए निवेश पर पकड़ बनाते हैं।
  • हेज़ फंड में उधार के पैसे से निवेश कर सकते हैं, म्यूचुअल फंड उपलब्ध धन से निवेश करते हैं।
  • हेज़ फंड डेरिवेटिव में निवेश करते हैं  जबकि म्यूचुअल फंड डेरिवेटिव में निवेश नहीं करते हैं।
  • हेज़ फंड प्रबंधकों को प्रदर्शन के आधार पर भुगतान मिलता है, म्यूचुअल फंड प्रबंधकों को प्रदर्शन के पहले ही भुगतान किया जाता है।

हेज़ फंड में उधार के पैसे से निवेश कर सकते हैं। यह उनके जोखिम लेने की प्रकृति के कारण है और, इसके आधार पर खरीदना और बेचना वास्तव में जोखिम भरा हो सकता है। म्यूचुअल फंड पैसा उधार नहीं लेते हैं और जो धन उपलब्ध है उसे निवेश करते हैं। हेज़ फंड शॉर्ट सेल हैं यानी कम बिकते हैं जबकि म्‍यूचुअल फंड नहीं।

कहना ग़लत नही होगा कि हेज़ फंड और म्यूचुअल फंड में बहुत अंतर है। अनिवार्य रूप से, हेज़ फंड्स शॉर्ट टर्म में बहुत जोखिम भरा दांव लगाते हैं, जबकि म्यूचुअल फंड्स शॉर्ट टर्म में रिस्क नहीं लेते हैं और लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करते हैं। लिहाजा छोटे निवेशक हेज फंड में निवेश नहीं करते हैं, लेकिन, निश्चित रूप से म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। इसके अलावा, हेज़ फंड प्रबंधकों को उनके प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जा सकता है, जबकि म्यूचुअल फंड प्रबंधकों को प्रदर्शन के पहले ही भुगतान किया जाता है।