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बजट 2020 मे आयकर दाताओं को कर मे छूट मिलने की उम्मीद

मध्यम वर्ग की आय कम होती है, लेकिन टैक्स का बोझ ज्यादा होता है।

इस बार फ़रवरी मे आने वाले बजट में आयकर दाताओं को कर में छूट मिलने की ज्यादा उम्मीद है। पिछली बार जुलाई में पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री ने पांच लाख तक की आय वालों को कर में छूट दी थी, लेकिन टैक्स स्लैब में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। ऐसे में अब लोगों को उम्मीद जागी है कि वित्त मंत्री टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती हैं। इससे कर दाताओं को ज्यादा वेतन ले जाने को मिलेगा, जिससे खर्च का दायरा बढ़ेगा।

मध्यम वर्ग की आय कम होती है, लेकिन टैक्स का बोझ ज्यादा होता है। अभी आम आदमी सबसे ज्यादा आयकर का भुगतान करता है। अभी 2.5 लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी टैक्स देना होता है। वहीं पांच से 10 लाख रुपये पर सीधे 20 फीसदी टैक्स दर लागू है। इससे करदाताओं पर सीधा असर पड़ता है। पांच से 10 लाख रुपये के लिए स्लैब को 20 प्रतिशत से घटाकर के 10 प्रतिशत करने की मांग वित्त मंत्री से करदाता कर रहे हैं।

उद्योग जगत ने की मैट और डीडीटी को हटाने की मांग

मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (मैट) और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) खत्म किए जाने की उम्मीद है। सीबीडीटी सदस्य अखिलेश रंजन की अध्यक्षता वाली प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) पर बनी समिति की रिपोर्ट में ऐसी कई सिफारिशें की गई हैं। इसके अलावा कमाई पर दोहरे कर का बोझ भी खत्म करने की सिफारिश की गई है। सरकार ने इससे पहले अप्रत्यक्ष कर के तहत जीएसटी में सुधार किया था। अब बारी प्रत्यक्ष कर की है।

दरअसल, उद्योग जगत काफी दिनों से मैट और डीडीटी को हटाने की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि जब किसी उद्योग को कुछ समय के लिए करावकास का लाभ दिया जाता है तो ऐसे में उनसे मिनिमम अल्टरनेट टैक्स वसूलना एक तरह से उद्योग जगत पर बोझ बढ़ाना है। इसलिए इसे खत्म करने में ही भलाई है।

अभी कम्पनियों को कितना देना पड़ता है कर

अभी कंपनियों के मुनाफे पर उद्योगपतियों को 18.5 फीसदी का मैट चुकाना पड़ता है। साथ ही भारतीय कंपनियों को अपने अंशधारकों को लाभांश का भुगतान करने से पहले 15 फीसदी की दर से डीडीटी देना पड़ता है। यह कर कंपनी चुकाती है, जबकि शेयरधारकों को किसी भी वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये तक के लाभांश पर कोई कर नहीं देना पड़ता है।