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बजट 2020 खादी : सरकार द्वारा चलाई गई खादी ग्राम उद्योग की योजना

खादी, हाथ से काते गए और बुने गए कपड़े को कहते हैं।

खादी ग्राम उद्योग आयोग की स्थापना संसद द्वारा पारित अधिनियम 1956 मे की गई थी। उसके बाद 1986 और 2006 मे इस अधिनियम मे बदलाव किये गए। इस खादी ग्राम उद्योग संगठन ने 1957  मे अखिल भारत  खादी ग्राम उद्योग मंडल से कर्यभार हाथों मे लिया गया था। यह संगठन भारत सरकार के प्रशासनिक विभाग सूक्ष्म, लघु और माध्यम मंत्रालय (MSME) के नियंत्रण मे काम करता है । इसका मुख्यालय मुंबई में है, जबकि अन्य संभागीय कार्यालय दिल्ली, भोपाल, बंगलोर, कोलकाता, मुंबई और गुवाहाटी में स्थित हैं। संभागीय कार्यालयों के अलावा, अपने विभिन्न कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करने के लिए 29 राज्यों में भी इसके कार्यालय हैं।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के पास ग्रामीण विकास में अन्य नियुक्ति एजेंसियों के साथ समन्वय में ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिए योजना, संवर्धन, संगठन और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन प्रभार है, जहां आवश्‍यक हो। प्रयोक्‍ता के लिए प्रशिक्षण केन्द्रों और सतर्कता की शिकायतों की जानकारी भी प्रदान की गई है।

खादी क्या है

खादी, हाथ से काते गए और बुने गए कपड़े को कहते हैं। कच्चे माल के रूप में कपास, रेशम या ऊन का प्रयोग किया जा सकता है, जिन्हें चरखे (एक पारंपरिक कताई यन्त्र) पर कातकर धागा बनाया जाता है।

खादी का 1920 में महात्मा गाँधी के स्वदेशी आंदोलन में एक राजनैतिक हथियार के रूप में उपयोग किया गया था।

खादी को कच्चे माल के आधार पर भारत के विभिन्न भागों से प्राप्त किया जाता है – पश्चिम बंगाल , बिहार , उड़ीसा और उत्तर पूर्वी राज्यों से रेशमी माल प्राप्त किया जाता है, जबकि कपास की प्राप्ति आंध्र प्रदेश , उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होती है। पॉली खादी को गुजरात  और राजस्थान में काता जाता है जबकि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश  तथा जम्मू और कश्मीर को ऊनी खादी के लिए जाना जाता है।

खादी और ग्रामोद्योग की प्रासंगिकता 

खादी और ग्रामोद्योग, दोनों में ही अत्यधिक श्रम (श्रमिकों) की आवश्यकता होती है। औद्योगीकरण के मद्देनज़र और लगभग सभी प्रक्रियाओं का मशीनीकरण होने के कारण भारत जैसे श्रम अधिशेष देश के लिए खादी और ग्रामोद्योग की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।

खादी और ग्रामीण उद्योग का एक अन्य लाभ यह भी है कि इन्हें स्थापित करने के लिए पूँजी की आवश्यकता नहीं (या बिलकुल कम) के बराबर होती है, जो इन्हें ग्रामीण गरीबों के लिए एक आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प बनाता है। कम आय, एवं क्षेत्रीय और ग्रामीण/नगरीय असमानताओं के मद्देनजर भारत के संदर्भ में इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।

खादी ग्राम उद्योग की योजना

खादी ग्रामोद्योग विकास योजना 2019- रोजगार मुक्त गाँव योजना  की बात करने जारे हैं। इसमें आपको खादी ग्रामोद्योग विकास योजना (केवीआईसी योजनाओं) की पूर्ण जानकारी दी जाएगी। हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता मे हुई बैठक में खादी ग्रामोद्योग विकास योजना- रोजगार मुक्त गाँव योजना को शुरू करने का आधिकारिक फैसला लिया गया। और इस योजना को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी गई।खादी ग्रामोद्योग विकास योजना- रोजगार मुक्त गाँव योजना को खासतौर पर सभी निम्न वर्ग के नागरिको के लिए शुरू किया गया है।

इस योजना से हजारो नए कारीगरों को रोजगार के अवसर दिए जायेंगे। इस योजना में प्रत्येक गांव से लगभग 250 कारीगरों को प्रत्यक्ष रोजगार दिये जायेंगे तथा कारीगरों को चरखे, करघे आदि दिए जायेंगे। खादी ग्रामोद्योग विकास योजना  के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 2019-20 में मौजूद सब्सिडी के नेतृत्व वाले मॉडल को सम्पूर्ण रूप से बदल दिया जाएगा। इसके साथ ही खादी ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत एक नए आयाम “रोजगार युक्त गांव” को जोड़ा गया है। जिस के चलते खादी क्षेत्र में उपक्रम आधारित परिचालन शुरू भी किया जाएगा। खादी ग्रामोद्योग विकास योजना 2019 को इस लिए शुरू किया गया ताकि इस योजना से देश के सभी नए बुनकरों को चालू और अगले वित्त वर्ष में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सके।

खादी ग्राम योजना के लाभ

  • खादी ग्रामोद्योग विकास योजना चालू वित्त वर्ष 2018-19 में और अगले वित्त वर्ष 2019-20 में हजारों नए कारीगरों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर दिए जाएंगे।
  • इसके अलावा, खादी ग्रामोद्योग योजना का मुख्य लक्ष्य ‘सब्सिडी के नेतृत्व वाले मॉडल’ के स्थान पर ‘एंटरप्राइज एलईडी बिजनेस मॉडल’ पेश करना है।
  • खादी ग्रामोद्योग विकास योजना 2019 के तहत प्रति गांव 250 कारीगरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान किये जायेंगे।
  • खादी कारीगरों को 10,000 चरखे, 2,000 करघे और 100 युद्धक इकाइयां प्रदान करके 50 गाँवों में खादी ग्रामोद्योग योजना शुरू की जाएगी।
  • मौजूदा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जैसे CGCRI, CFTRI, IIFPT, CBRTI, KNHPI, IPRITI आदि के माध्यम से उन्नत कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन करेगा। जिससे कारीगरों को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा।
  • इसके अलावा, सभी खादी संस्थानों को 30% अनुदान मिलेगा। और ये संस्थान दक्षता, संसाधनों के इष्टतम उपयोग, अपशिष्ट की कमी और प्रभावी प्रबंधकीय प्रथाओं के लिए अतिरिक्त 30% प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे